दिल्ली सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल के बीच एक बार फिर शक्तियों को लेकर बवाल हो सकता है. दिल्ली के उपराज्यपाल को केंद्र ने और अधिक शक्तियां दे दी है. केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को हुई बैठक में उपराज्यपाल को और अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
केंद्र सरकार ने गोपनीय तरीके से दिल्ली सरकार के अधिकार छीन कर LG को दे दिए है।
केंद्र सरकारने GNCTD Act में बदलाव कर दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार कम किये।
ये लोकतंत्र के खिलाफ हैं, संविधान के खिलाफ हैं : Dy CM @msisodia pic.twitter.com/B2JsMhr9vi
— AAP (@AamAadmiParty) February 4, 2021
अब केजरीवाल सरकार को तय समय में ही एलजी के पास विधायी और प्रशासनिक प्रस्ताव भेजने के लिए तय समय का इस्तेमाल करना होगा. बजट सत्र में NCT ऑफ दिल्ली (संशोधन) विधेयक, 2021 को भी सूचीबद्ध रखा गया है. इस फैसले ने एक बार फिर दिल्ली में केंद्र बनाम राज्य की ताकतों के बीच जंग तेज कर दी है.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, केंद्र सरकार ने दिल्ली में चुनी हुई सरकार के अधिकार को छीनने का काम किया और एलजी को देने का काम किया है. अब दिल्ली सरकार के पास कोई फैसला लेने की ताकत नहीं होगी. ये सभी फैसले गोपनीय तरीके से लिए जा रहे हैं. केंद्र का फैसला संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है. केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत के फैसले को भी दरकिनार कर दिया है.
इसमें विधानसभा के के दायरे के बाहर आने वाले विषयों का उल्लेख है. सूत्रों की मानें तो यह फैसला बेहतर गवर्नेस के लिए लिया गया है. केंद्र सरकरा उप राज्यपाल औऱ दिल्ली के बीच के टकराव को कम करना चाहती है यही कारण है कि इसे लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी गयी है. सुप्रीम कोर्ट के जनवरी 2019 में आए फैसले के बाद केंद्र सरकार ने इसे स्पष्ट कर दिया है .
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केंद्र के इस फैसले के बाद अब दिल्ली सरकार को विधायी प्रस्ताव उपराज्यपाल के पास कम से कम 15 दिन पहले और प्रशासनिक प्रस्ताव 7 दिन पहले पहुंचाने होंगे. केजरीवाल और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर कई बार ठनी है. अब इस मामले को लेकर उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच टशन बढ़ सकती है. यह पहली बार नहीं है यह मामला कोर्ट तक जा चुका है.