सुप्रीम कोर्ट से बड़ी जीत मिलने के बाद दिल्ली के अरविंद केजरीवाल ने कहा, आज सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश आया है वो दिल्ली की जनता के सहयोग का नतीजा है. अब हमें दिल्ली के लोगों को रिस्पॉन्सिव प्रशासन देना है. अगले कुछ दिनों में दिल्ली में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा.
जनता का काम रोकने वाले कर्मचारियों पर होगी बड़ी कार्रवाई
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, दिल्ली में कुछ दिनों में बहुत बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा. कुछ अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में जनता के काम रोके, ऐसे कर्मचारियों को चिह्नित किया जाएगा और उन्हें अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ेगा.
केजरीवाल ने मोदी सरकार पर बोला हमला
दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा, जैसे ही हमारी सरकार बनी प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार से एक आदेश पारित कराया कि दिल्ली में काम करने वाले सभी अधिकारियों के ट्रांसफर और नौकरी से संबंधित सभी फैसले दिल्ली सरकार के पास नहीं रहेंगे. यानी अगर कोई रिश्वत ले रहा है तो हम उन्हें निलंबित भी नहीं कर सकते. इस आदेश का इस्तेमाल करके दिल्ली में कामों को जबरदस्ती रोका गया.
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Delhi | We thank Justice DY Chandrachud & all the judges of the bench for this decision, I want to congratulate the people of Delhi. After today’s decision more work will be done & we will give a responsive government. Many government employees & officers will be transferred.… pic.twitter.com/zshy32T3T7
— ANI (@ANI) May 11, 2023
सुप्रीम कोर्ट से जीत मिलने के बाद आप ने किया ट्वीट- सत्यमेव जयते
आम आदमी पार्टी (आप) ने केंद्र-दिल्ली सेवा विवाद पर सप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की. आप ने इस फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, सत्यमेव जयते। दिल्ली सरकार की सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत हुई. चुनी हुई सरकार के पास अधिकारियों के स्थानांतरण-पदस्थापन की शक्ति होगी. अधिकारी निर्वाचित सरकार के माध्यम से ही काम करेंगे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लोकतंत्र की जीत करार दिया.
क्या है मामला
सेवाओं पर अधिकार के मुद्दे पर केंद्र बनाम दिल्ली सरकार के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि निर्वाचित सरकार का प्रशासन पर नियंत्रण जरूरी है. उसने न्यायाधीश अशोक भूषण के 2019 के फैसले से असहमति जतायी कि शहर की सरकार का सेवाओं के मामले पर कोई अधिकार नहीं है. गौरतलब है कि दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार की विधायी और शासकीय शक्तियों से जुड़े कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया गया था.