Sharjeel Imam News दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने राजद्रोह (Sedition) के आरोप तय करने को चुनौती देने वाली जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र शरजील इमाम की याचिका पर नोटिस जारी किया है. हाई कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) से जवाब मांगा है. यह मामला 2019 में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उसके कथित भड़काऊ भाषण से संबंधित है.
दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. इस मामले की अगली सुनवाई 26 मई को होगी. दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने प्रासंगिक दस्तावेज पेश करने के लिए वक्त मांगा था. कोर्ट ने कहा कि यह 2 हफ्ते के अंदर हो जाना चाहिए.
भड़काऊ भाषण देने का आरोप में जेएनयू के छात्र शरजील इमाम को जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया गया था. उसने 24 जनवरी के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसके खिलाफ राजद्रोह के तहत आरोप तय किए गए थे. निचली अदालत ने कहा था कि मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए (राजद्रोह), धारा-153ए, धारा-153बी, धारा-505, यूएपीए (UAPA) की धारा-13 के तहत आरोप तय किए जाते हैं.
कोर्ट ने शरजील इमाम की इस मामले में जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है और वह फिलहाल लंबित है. अभियोजन पक्ष के मुताबिक इमाम ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए भाषणों में कथित तौर पर असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से अलग करने की धमकी दी थी. वहीं अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि उसने केंद्र सरकार के खिलाफ कथित भड़काने, घृणा पैदा करने, मानहानि करने और द्वेष पैदा करने वाले भाषण दिए और लोगों को भड़काया जिसकी वह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई.
दिल्ली पुलिस ने अपने आरोप पत्र में कहा कि सीएए की आड़ में शरजील इमाम ने एक विशेष समुदाय के लोगों से अहम शहरों को जोड़ने वाले राजमार्गों को बाधित करने और चक्का जाम करने का आह्वान किया. इसके साथ ही उसने सीएए के नाम पर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से काटने की धमकी दी. शरजील इमाम जनवरी 2020 से ही न्यायिक हिरासत में है. वह दिल्ली में हुए दंगों की साजिश रचने के मामले में भी आरोपी है. अपने बचाव में इमाम ने अदालत में पहले कहा था कि वह आतंकवादी नहीं है और उसका अभियोजन एक राजशाही का चाबुक है, बजाय सरकार द्वारा स्थापित कानून.