विवाह एकतरफा मामला नहीं हो सकता, दोनों साथी सम्मान एवं जिम्मेदारी के हकदार : हाईकोर्ट
Delhi High Court said Marriage not be a one-sided affair: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक शांति एवं खुशी का अधिकार है और विवाह, जोकि एक संस्कार है, वह एकतरफा मामला नहीं हो सकता तथा दोनों साथी बराबर सम्मान एवं जिम्मेदारी के हकदर होते हैं.
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक शांति एवं खुशी का अधिकार है और विवाह, जोकि एक संस्कार है, वह एकतरफा मामला नहीं हो सकता तथा दोनों साथी बराबर सम्मान एवं जिम्मेदारी के हकदर होते हैं. अदालत ने एक पति द्वारा क्रूरता करने और पत्नी को छोड़े जाने के आधार पर दंपती के विवाह को भंग करते हुए ये टिप्पणियां कीं. उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी एक पति की याचिका खारिज करते हुए की जिसने परिवार अदालत द्वारा उसकी शादी को समाप्त करने के फैसले को चुनौती दी थी.
परिवार अदालत ने अपनी पत्नी से क्रूरता करने और उसे छोड़ देने को आधार मानकर यह फैसला सुनाया था. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि बेटी की गवाही से एक बेहद असंवेदनशील और स्वार्थी पति द्वारा अपनी पत्नी को लगातार तंग किया जाना पूरी तरह साफ है और इसमें कुछ और कहने की जरूरत नहीं है. अदालत ने कहा कि यह प्रतीकात्मक मामला है जो दिखाता है कि किसी एक साथी का व्यवहार दूसरे को पूरी तरह नुकसान पहुंचाने के लिए क्रूर कब माना जाएगा.
पीठ ने कहा, ‘‘प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक शांति, खुश एवं संतुष्ट रहने का अधिकार है. शादी बेशक एक संस्कार है लेकिन यह एकतरफा नहीं हो सकता. विवाह के दोनों पक्ष बराबर साथी होते हैं और वे परस्पर सम्मान, प्रेम, भावनात्मक जुड़ाव और एक-दूसरे की कुशलता के लिए आर्थिक एवं अन्य सहयोग तथा कर्तव्य एवं जिम्मेदारियां बांटने के हकदार होते हैं.”
कोर्ट ने कहा, “अगर रिश्ते में इतनी कड़वाहट और असंतुलन हो कि एक को कल्याण एवं कुशलता की अत्यधिक कीमत चुकानी पड़े और वह दूसरे की कुशलता की मोहताज हो, तो यह कोई संस्कार नहीं हो सकता जिसकी आवेदक (पुरुष) अब दुहाई दे रहा है.”