दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से कहा, अस्पतालों में खाली पड़े पद जल्दी भरे जाएं

याचिकाकर्ता डॉ नंद किशोर गर्ग ने वकील शशांकदेव सुधी के माध्यम से कहा कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी हो गई है, जो हर बीतते दिन के साथ बिगड़ती ही जा रही है.

By KumarVishwat Sen | January 14, 2023 4:28 PM

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और केजरीवाल सरकार को हलफनामा फाइल करने की मोहलत देते हुए निर्देश दिया है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि अस्पतालों में खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए. हाईकोर्ट सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार को बीते नौ जनवरी को हलफनामा फाइल करने का निर्देश दिया था.

न्यायमूर्ति सतीश चंदर शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्र और दिल्ली सरकार को चार हफ्ते की मोहलत देते हुए मामले को 12 अप्रैल 2023 के लिए सूचीबद्ध किया है. पीठ ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि अस्पतालों में खाली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरा जाए.

दिल्ली हाईकोर्ट ने इससे पहले एम्स, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया अस्पताल जैसे सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की तत्काल नियुक्ति के लिए दायर एक याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया था. इसके साथ ही, अदालत ने स्थानीय निकायों के साथ-साथ मोहल्ला क्लिनिकों में उनकी स्वीकृत रिक्तियों के खिलाफ तत्काल आधार पर नियुक्ति करने का निर्देश दिया है.

गरीब रोगियों को नहीं मिल रहा सही इलाज

याचिकाकर्ता डॉ नंद किशोर गर्ग ने वकील शशांकदेव सुधी के माध्यम से कहा कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी हो गई है, जो हर बीतते दिन के साथ बिगड़ती ही जा रही है. याचिका में कहा गया है कि बुनियादी ढांचे और स्पेशल डॉक्टरों के बारे में गलत जानकारी सहित डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी के कारण निर्दोष और गरीब रोगियों को उनके इलाज से वंचित किया जा रहा है.

प्राइवेट अस्पताल काट रहे चांदी

याचिका में यह भी कहा गया है कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने चूक के क्षेत्रों में पहलुओं को देखने के लिए किसी भी समिति या आयोग का गठन नहीं किया था, जिसके कारण दिल्ली के निर्देश नागरिकों की मौत हो गई और जिम्मेदार व्यक्ति अभी भी नौकरी कर रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि प्राइवेट अस्पताल असहाय मरीजों की दुर्दशा का अवैध फायदा उठा रहे हैं.

Also Read: झारखंड के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट में रिसाव, 85.88 लाख की लागत से बना प्लांट है बेकार
सरकारी अस्पताल से रेफर किए जा रहे मरीज

ऐसे कई मामले हैं, जहां सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर बुनियादी ढांचे की कमी का हवाला देकर मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में रेफर कर रहे हैं. जाहिर है कि सरकारी अस्पताल कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं, जो पूरी आबादी को अपनी चपेट में लेने का खतरा पैदा कर रही है. यहां तक कि दिल्ली में सुरक्षात्मक मास्क और सैनिटाइजर की कालाबाजाारी की जा रही है और यह अधिक कीमतों पर बेची जा रही है.

Next Article

Exit mobile version