Delhi Liquor Case: मनीष सिसोदिया ने जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया, सुनवाई गुरुवार को
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी. मालूम हो पिछले हफ्ते ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था, मामले की जांच के इस चरण में अदालत उन्हें जमानत पर रिहा करने के लिए इच्छुक नहीं है.
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आबकारी मामले में जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जिसमें कथित अनियमितताओं से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मामले में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है. दूसरी ओर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट से उन्हें झटका लगा है. कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए 17 अप्रैल तक उन्हें ईडी की हिरासत में भेज दिया.
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई गुरुवार को
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी. मालूम हो पिछले हफ्ते ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था, मामले की जांच के इस चरण में अदालत उन्हें जमानत पर रिहा करने के लिए इच्छुक नहीं है, क्योंकि उनकी रिहाई चल रही जांच पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है और प्रगति को भी गंभीर रूप से बाधित करेगी.
क्या है सिसोदिया पर आरोप
मनीष सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सरकार में अपने और अपने सहयोगियों के लिए लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण एवं प्रमुख भूमिका निभाई.
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आबकारी मामले में 26 फरवरी को सिसोदिया को सीबीआई ने किया था गिरफ्तार
सीबीआई ने अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में कई दौर की पूछताछ के बाद 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया था.
सीबीआई की दलील पर कोर्ट ने कहा, सिसोदिया ने आपराधिक साजिश में बड़ी भूमिका निभाई
आपराधिक साजिश के पहलू पर बात करते हुए और अब तक की गई जांच पर सीबीआई के अभिवेदन का संदर्भ देते हुए न्यायाधीश ने कहा था कि सिसोदिया ने “आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी भूमिका निभाई थी तथा वह उक्त साजिश के उद्देश्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए उक्त नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में प्रमुखता से शामिल थे. इस प्रकार, अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों और उनके समर्थन में अब तक एकत्र किए गए सबूतों के अनुसार, आवेदक को प्रथम दृष्टया उक्त आपराधिक साजिश का सूत्रधार माना जा सकता है.