दिल्ली में लॉकडाउन लागू करने के अनुरोध पर अदालत ने सुनवाई से किया इनकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उन दो जनहित याचिकाओं पर सुनवायी करने से इनकार कर दिया जिसमें आप सरकार को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि वह कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन लागू करने पर विचार करे . मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जलान की एक पीठ ने मामले को सुना और कहा कि वह कोई नोटिस जारी नहीं करने जा रही है. उसके बाद याचिकाकर्ताओं ने अपनी अर्जियां वापस ले लीं.
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उन दो जनहित याचिकाओं पर सुनवायी करने से इनकार कर दिया जिसमें आप सरकार को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि वह कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन लागू करने पर विचार करे . मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जलान की एक पीठ ने मामले को सुना और कहा कि वह कोई नोटिस जारी नहीं करने जा रही है. उसके बाद याचिकाकर्ताओं ने अपनी अर्जियां वापस ले लीं.
इनमें से एक अर्जी एक अधिवक्ता अनिर्बान मंडल द्वारा दायर की गई थी जो चाहते थे कि दिल्ली सरकार शहर में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर लॉकडाउन लागू करने पर विचार करे. मंडल की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मृदुल चक्रवर्ती ने कहा कि उन्होंने पीठ के समक्ष दलील दी कि मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि लॉकडाउन फिर से क्यों नहीं लगाया जा सकता है और बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने कहा था कि कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए शहर ‘‘कोरोना राजधानी”” बनने की दिशा में बढ़ रहा है.
चक्रवर्ती ने कहा कि उन्होंने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि सीमित अवधि के लिए लॉकडाउन दिल्ली सरकार को थोड़ी राहत प्रदान करेगा, संक्रमण चक्र को तोड़ेगा और इससे सुविधाएं बढ़ायी जा सकेंगी. मंडल के मामले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से पेश हुए दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील गौतम नारायण ने कहा कि अदालत ने मामले में नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया.
हालाँकि, दोनों जनहित याचिकाओं पर सुनवायी नहीं करने का कारण अदालत के आदेश में इंगित किया जा सकता है जो अभी तक उपलब्ध नहीं है. अन्य अर्जी दूसरे अधिवक्ता अंकित वर्मा द्वारा दायर की गई जो चाहते थे कि कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर दिल्ली में लॉकडाउन हो और दिल्ली की सीमाएं सील हों. दूसरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के लिए पेश हुए दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि पीठ ने इस मामले में भी नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया.
मंडल ने अपनी अर्जी में कहा कि दिल्ली सरकार ने खुद माना है कि जून के अंत तक राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के लगभग एक लाख मामले होंगे और जुलाई के मध्य तक यह संख्या लगभग 2.25 लाख और जुलाई के अंत तक 5.5 लाख हो जाएगी. उन्होंने कहा कि ऐसे परिदृश्य में, सरकार को दिल्ली में सख्त लॉकडाउन लागू करने पर विचार करना चाहिए.