Delhi Mayor Election 2023: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को आज नया मेयर और उपमेयर मिल जाएगा. हाल में संपन्न हुए नगर निगम चुनावों के बाद सदन की आज दूसरी बैठक होगी. जिसमें दिल्ली के महापौर और उपमहापौर को चुना जाएगा.
6 जनवरी को ही होना था मेयर और उपमेयर का चुनाव
महापौर और उपमहापौर का चुनाव नगर निगम चुनाव के बाद छह जनवरी को हुई सदन की पहली बैठक में किया जाना था, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों के एक दूसरे से भिड़ जाने और हंगामा करने के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी थी. हंगामे के कारण महापौर और उपमहापौर का चुनाव नहीं हो सका था.
मेयर पद के लिए तीन के बीच टक्कर
महापौर पद के प्रत्याशियों में शैली ओबरॉय और आशु ठाकुर (आप) तथा रेखा गुप्ता (भाजपा) शामिल हैं. जिसमें आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी ओबरॉय को मुख्य दावेदार बताया जा रहा है.
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उपमेयर के लिए इनके बीच कड़ी टक्कर
उपमहापौर पद के प्रत्याशियों में आले मोहम्मद इकबाल और जलज कुमार (आप) तथा कमल बागड़ी (भाजपा) शामिल हैं. महापौर और उपमहापौर के अलावा एमसीडी की स्थायी समिति के छह सदस्यों के भी बैठक के दौरान निर्वाचित होने की संभावना है.
दिल्ली नगर निगम चुनाव में आप ने दर्ज की थी धमाकेदार जीत
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव चार दिसंबर को हुए थे और मतगणना सात दिसंबर को हुई थी. आम आदमी पार्टी ने 134 वार्ड जीतकर एमसीडी में भाजपा के 15 साल के शासन को खत्म कर दिया. भाजपा ने एमसीडी के 250 सदस्यीय सदन में 104 वार्ड में जबकि कांग्रेस ने नौ वार्ड में जीत दर्ज की.
आप के विरोध के बावजूद एल्डरमेन पहले लेंगे शपथ
पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने कहा कि पिछली बैठक में आम आदमी पार्टी (आप) के कड़े विरोध के बावजूद उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त ‘एल्डरमेन’ पहले शपथ लेंगे. छह जनवरी को नवनिर्वाचित एमसीडी परिषद की पहली बैठक महापौर और उपमहापौर के चुनाव के बिना स्थगित कर दी गई थी, क्योंकि पहले 10 ‘एल्डरमेन’ को शपथ दिलाने के पीठासीन अधिकारी के फैसले पर आप और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पार्षदों के बीच झड़प हो गई थी.
दिल्ली नगर निगम का इतिहास
दिल्ली नगर निगम का गठन अप्रैल 1958 में हुआ था और उसके महापौर के पास 2012 तक प्रभावशाली शक्तियां थीं. वर्ष 2012 में निगम का तीन अलग-अलग नगर निगमों में विभाजन हुआ और प्रत्येक निगम का अपना महापौर बना ,लेकिन 2022 में केंद्र ने उत्तर दिल्ली नगर निगम (104 वार्ड), दक्षिण दिल्ली नगर निगम (104 वार्ड) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (64 वार्ड) का विलय कर दिया गया. हालांकि इसमें वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी गयी.