सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 10 एल्डरमैन की नियुक्ति मामले में सुनवाई हुई. शीर्ष कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह के बिना एमसीडी में 10 ‘एल्डरमैन’ की नियुक्ति को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकर ने चुनौती दी थी.
एल्डरमैन की नियुक्ति मामले में कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए संख्त टिप्पणी की और कहा, उपराज्यपाल को दिल्ली नगर निगम में ‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार देने का मतलब है कि वह निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं.
सीजेआई ने उपराज्यपाल के शक्ति स्रोत के बारे में किया सवाल
इससे पहले सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से उपराज्यपाल के शक्ति के स्रोत के बारे में सवाल किया. पीठ ने पूछा, मनोनीत करने के लिए आपके पास शक्ति का स्रोत क्या है? हमें उपराज्यपाल की शक्ति का स्रोत दिखाएं. क्या संविधान एल्डरमैन नियुक्त करने के लिए उपराज्यपाल की शक्ति को मान्यता देता है?
Supreme Court reserves its order on a plea of the Delhi government challenging the nominations of 10 ‘aldermen’ by the Lieutenant Governor to the Municipal Corporation of Delhi (MCD).
— ANI (@ANI) May 17, 2023
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कोर्ट में दी दलील
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा, एमसीडी में सदस्यों को मनोनीत करने से संबंधित फाइल सीधे उपराज्यपाल के कार्यालय में आई, क्योंकि वह प्रशासक हैं और इस मामले में सहायता और सलाह की अवधारणा लागू नहीं होती है.
दिल्ली सरकार ने कोर्ट में 2018 में संविधान पीठ का दिया हवाला
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने सेवाओं पर नियंत्रण के संबंध में 2018 और हाल में संविधान पीठ के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि उपराज्यपाल को सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करना है और उन्हें अब तक नामांकन वापस ले लेना चाहिए था. उन्होंने कहा, 12 जोन हैं, 12 वार्ड समितियां हैं और एल्डरमैन किसी भी समिति में नियुक्त किए जा सकते हैं…पिछले 30 वर्षों में पहली बार, उपराज्यपाल ने एमसीडी में सीधे सदस्यों को नियुक्त किया है और पहले यह हमेशा (सरकार की) सहायता और सलाह पर आधारित था.
दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा प्रशासकीय नियंत्रण
पिछले बृहस्पतिवार को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर अन्य सेवाओं पर दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा प्रशासकीय नियंत्रण है.