Indepth: दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता के सामने कई चुनौतियां, क्यों हुई मनोज तिवारी की विदाई
Delhi Bjp President Adesh Gupta: दिल्ली विधान चुनाव (Delhi Election) के नतीजों के बाद से प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी (Manoj Tiwari ) की विदाई तय थी, लेकिन संगठन का चुनाव नहीं होने के कारण और फिर कोरोना संकट के कारण नयी नियुक्ति नहीं हो पायी. लेकिन अब एक नये और युवा चेहरे आदेश कुमार गुप्ता को कमान सौंप पार्टी दिल्ली में नये नेतृत्व को आगे बढ़ाना चाहती है.
नयी दिल्ली: दिल्ली विधान चुनाव के नतीजों के बाद से प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की विदाई तय थी, लेकिन संगठन का चुनाव नहीं होने के कारण और फिर कोरोना संकट के कारण नयी नियुक्ति नहीं हो पायी. लेकिन अब एक नये और युवा चेहरे आदेश कुमार गुप्ता को कमान सौंप पार्टी दिल्ली में नये नेतृत्व को आगे बढ़ाना चाहती है. पिछले दो दशक से दिल्ली की सत्ता के बाहर पार्टी में कई कद्दावर नेता हैं, लेकिन आपसी गुटबाजी सबसे बड़ी समस्या रही है. दिल्ली में वैश्य समुदाय भाजपा का परंपरागत वोटर रहा है, लेकिन विजय गोयल और हर्षवर्धन जैसे वैश्य नेताओं की चमक पहले के मुक़ाबले कम हुई है और अभी ऐसा कोई नेता नहीं है, जो सभी गुट को स्वीकार्य हो. ऐसे में पार्टी ने ऐसे चेहरे को कमान सौंपने का निर्णय लिया जो किसी गुट से ताल्लुक नहीं रखता है और जमीनी स्तर पर जिसकी पहचान हो. इस नियुक्ति से पार्टी ने साफ कर दिया है कि दिल्ली में भाजपा अब नये नेतृत्व के सहारे आगे का रास्ता तय करेगी. गुप्ता की सबसे बड़ी परीक्षा 2022 में होने वाले नगर निगम चुनाव में होगी.
आदेश गुप्ता : ट्यूशन, ट्रेडिंग और साथ में पॉलिटिक्स
आदेश कुमार गुप्ता उत्तर दिल्ली नगर निगम के मेयर रह चुके हैं. पश्चिमी पटेल नगर के पार्षद गुप्ता नगर निगम के स्थायी समिति के सदस्य हैं. उनकी पहचान एक ज़मीनी नेता की है. 52 वर्षीय गुप्ता कानपुर स्थित छत्रपति जी साहू महाराज से साइंस में ग्रेजुएट हैं. उत्तर प्रदेश के रहने वाले आदेश बीएससी करने के बाद नौकरी की तलाश में दिल्ली आ गये. काफी तलाश के बाद जब नौकरी नहीं मिली तो ट्यूशन पढ़ाने लगे.दो साल तक ट्यूशन पढ़ाने के बाद अपना व्यवसाय करने की ठानी और कॉस्मेटिक उत्पाद की ट्रेडिंग का काम शुरू किया, लेकिन उसमें भी नाकामयाबी मिली तो फिर से टयूशन पढ़ाने लगे.इसी दौरान उन्होंने सीपीडब्ल्यूडी में कॉन्ट्रेक्टर के लिए पंजीकरण करा लिया और वे सफलता की सीढ़ी चढ़ते गये. फिर उन्होंने दिल्ली में अपना घर भी खरीद लिया. छात्र राजनीति में रुझान होने के कारण युवा मोर्चा में भी सक्रिय रहे. शुरू से ही भाजपा में सक्रिय रहने के कारण 2017 में पटेल नगर से एमसीडी चुनाव का टिकट मिला और चुनाव जीत गये और मेयर भी बने. अब उन्हें दिल्ली भाजपा की कमान सौंपी गयी है.
क्यों किया बीजेपी ने मनोज तिवारी को बाय बाय
विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली भाजपा कई गुटों में बंटी रही. चुनाव के दौरान तिवारी के ऊपर भी कई तरह के आरोप लगे. तब कार्यकर्ताओं का कहना था कि तिवारी अपने निजी सचिव के सलाह पर पार्टी को चला रहे हैं. कार्यकर्ता के साथ सीधा संवाद न करने का आरोप भी तिवारी पर लगा. इसी कड़ी में दिल्ली भाजपा के पुराने कार्यकर्ता भी मनोज तिवारी के इस व्यवहार से काफी नाराज रहे, और इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा. इतना ही नहीं मनोज तिवारी को जिस वोट बैंक को लेकर दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था वह वोट बैंक भी भाजपा से खिसककर आम आदमी पार्टी की ओर जा रहा था.
क्या होगी आदेश गुप्ता की सबसे बड़ी चुनौती
पार्टी को अपने परंपरागत वोट को अपने पाले में रखने के लिये ऐसे नेता की दरकार थी, जिसका स्ट्रेचर बहुत बड़ा नहीं हो. ताकि कई गुटों में बंटी दिल्ली भाजपा के लिये फिर से परेशानी का सामना न करना पड़े. साथ ही वह आम कार्यकर्ता हो जिससे भाजपा के वोटरों में आम कार्यकर्ता को पद मिलने पर एक नया जोश फिर से आये. दिल्ली के जो पुराने नेता हैं, उनके समर्थक भी कई गुटों में बंटे हैं. विभिन्न गुटों में बंटे कार्यकर्ताओं को एक करने के लिये भी पार्टी को ऐसे नेता की जरूरत थी. गुप्ता के ऊपर कई गुटों में बंटी पार्टी को एक करने के साथ ही अपने परंपरागत वोट को अपने पाले में लाने की चुनौती भी होगी.
जेपी नड्डा के करीबी माने जाते हैं
आदेश गुप्ता विद्याथी परिषद से जुड़े रहे हैं. भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तर प्रदेश में काम करने के दौरान वह उनके संपर्क में आये. उसी दौरान वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी इनकी मुलाकात हुई थी. वह जिला महामंत्री, युवा मोर्चा सहित संगठन में कई जिम्मेवारी को भी निभा चुके हैं. सौम्य और गंभीर स्वभाव वाले गुप्ता मेहनती के साथ ही दिल्ली के सभी गुटों में स्वीकार्य भी बताये जाते हैं. इन्हें हर्षवर्धन, विजय गोयल, परवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता, मनोज तिवारी सहित उन तमाम नेताओं से अच्छे संबंध है, जो दिल्ली के पॉलिटिक्स को प्रभावित कर सकते हैं. गुप्ता की एक और खासियत है कि वह पूर्वांचली होने के साथ ही दिल्ली में भाजपा के परंपरागत वोट बैंक व्यवसायी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह वर्ग भाजपा से दूर होता जा रहा था माना जा रहा है कि गुप्ता को दिल्ली का कमान मिलने के बाद यह वर्ग फिर से भाजपा की ओर आकर्षित होगा.