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सीएम केजरीवाल पर कमेंट करने वाली अंबेडकर विश्वविद्यालय की छात्रा को राहत,मनीष सिसोदिया ने माफ किया फाइन

Delhi News : बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय ने विगत वर्ष दीक्षांत समारोह में अपनी बात रखने वाली छात्रा के ऊपर लगाया गया पांच हजार रुपये का जुर्माना मनीष सिसोदिया के हस्तक्षेप के बाद वापस ले लिया है. यह जुर्माना दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के निर्देश के बाद वापस ले लिया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2021 10:14 AM

Delhi News : बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय ने विगत वर्ष दीक्षांत समारोह में अपनी बात रखने वाली छात्रा के ऊपर लगाया गया पांच हजार रुपये का जुर्माना मनीष सिसोदिया के हस्तक्षेप के बाद वापस ले लिया है. यह जुर्माना दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के निर्देश के बाद वापस ले लिया गया है.

उपमुख्यमंत्री कार्यालय ने इस बाबत जानकारी दी है. उपमुख्यमंत्री कार्यालय के द्वारा विज्ञप्ति जारी के अनुसार मनीष सिसोदिया ने कहा है कि बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय ने एक छात्रा पर कार्रवाई की है. छात्रा के द्वारा दिल्ली के सीएम और मेरे ऊपर कुछ कमेंट किया गया था जिसके बाद उसपर कार्रवाई की गई थी. उन्होंने कहा कि विचार की स्वतंत्रता सभी का अधिकार है…उस छात्रा का भी…इसलिए छात्रा के ऊपर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.

मनीष सिसोदिया ने कहा है कि यदि उसपर कार्रवाई की जाती है तो यह संविधान के खिलाफ होगा. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों के लिए एक सुरक्षित जगह है. यहां वे विचारों की स्वतंत्रता का भरपूर उपयोग कर सकते हैं. वे अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है…चाहे उनके विचार सरकार से मेल खाते हों या फिर नहीं…छात्र हमारे देश का भविष्‍य हैं…उन्हें अपने विचार दूसरों तक पहुंचाने का अधिकार है…यदि अभी ही उनकी आवाज दबा दी जाएगी तो भविष्‍य में वे अन्याय के खिलाफ कैसे खड़े होंगे.

आगे मनीष सिसोदिया ने कहा है कि लोकतंत्र में किसी की आवाज दबाने का अधिकार किसी को नहीं होना चाहिए. लोकतंत्र में आवाज दबाने का मतलब है तानाशाही की ओर बढ़ना..यही वजह है कि लोकतंत्र में विचार की स्वतंत्रता होनी चाहिए…चाहे वो छात्र हो या फिर देश का कोई भी सामान्य नागरिक… उन्होंने आगे कहा कि मामले को प्रिंसिपल सेक्रेटरी (हायर एजुकेशन) देख रहे हैं. उनसे कहा गया है कि वे छात्रा पर कार्रवाई नहीं होने दें…साथ ही दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले शैक्षनिक संस्थानों में इस तरह की कार्रवाई नहीं होने देने को कहा गया है.

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