लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश बिल सोमवार को अमित शाह करेंगे पेश, AAP समेत ये दल कर रहे हैं विरोध

Delhi Ordinance Bill. दिल्ली अध्यादेश बिल सोमवार को लोकसभा में पेश होगा. मिली जानकारी के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह इसे सोमवार सुबह लोकसभा में पेश करेंगे. बता दें कि आम आदमी पार्टी के द्वारा इसका विरोध पुरजोर तरीके से चल रहा है.

By Aditya kumar | July 26, 2023 3:15 PM
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Delhi Ordinance Bill : दिल्ली अध्यादेश बिल सोमवार को लोकसभा में पेश होगा. मिली जानकारी के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह इसे सोमवार सुबह लोकसभा में पेश करेंगे. साथ ही जानकारी दे दें कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंगलवार को इस बिल को मंजूरी दे दी गई थी. अब ऐसे में दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश से संबंधित बिल सोमवार यानि 31 जुलाई को संसद में पेश किया जाएगा. बता दें कि आम आदमी पार्टी के द्वारा इसका विरोध पुरजोर तरीके से चल रहा है. जानकारी यह भी हो कि दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए यह अध्यादेश जारी किया गया था.

केंद्र सरकार ने 19 मई को जारी किया था अध्यादेश

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन अध्यादेश केंद्र सरकार के द्वारा 19 मई को जारी किया गया था. बता दें कि इस अध्यादेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण नाम का एक प्राधिकरण होगा, जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा.

दिल्ली की सरकार ने किया था इसका जमकर विरोध

जैसा कि जानकारी हो कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार इस बिल का शुरू से विरोध कर रही है. अध्यादेश जारी होने से कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की आप सरकार को सेवा से जुड़े मामलों का नियंत्रण प्रदान कर दिया था. लेकिन, इस आदेश में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से जुड़े विषय शामिल नहीं थे. बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उपराज्यपाल के नियंत्रण में थे.

बिहार, झारखंड समेत कई राज्यों के सीएम ने दिया समर्थन

केंद्र सरकार की ओर से जब यह अध्यादेश जारी किया गया तो उसके विरोध में आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कई विपक्षी दलों का समर्थन और मदद मांगा था. केंद्र की ओर से अध्यादेश जारी होने के बाद ये मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट में गया था. कोर्ट ने इस मामले को 5 जजों की संविधान पीठ को सौंपा है. इसी क्रम में उन्होंने बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री समेत कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की थी और इस मामले में समर्थन मांगा था.

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