Delhi Police Commissioner Rakesh Asthana Profile गुजरात कैडर के 1984 बैंच के वरिष्ठ आईपीएस राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस का नया कमिश्नर बनाया गया है. राकेश अस्थाना ने बुधवार को एक साल के लिए दिल्ली पुलिस के स्थायी पुलिस कमिश्नर के तौर पर अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया. इससे पहले राकेश अस्थाना सीमा सुरक्षा बल के डीजी के तौर पर काम कर रहे थे और उनका नाम सीबीआई निदेशक के तौर पर भी चला था.
बता दें कि मंगलवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश जारी किया था. कार्यभार संभालने के बाद राकेश अस्थाना ने कहा कि पुलिस का काम कानून-व्यवस्था को बनाए रखना है और अपराध पर नियत्रंण पाना है. उन्होंने कहा कि हमारा फोकस यही रहेगा. गुजरात कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी राकेश अस्थाना उन चुनिंदा अधिकारियों में शुमार किए जा रहे हैं, जिन्हें सिर्फ तीन सालों के अंतराल में ही पांच अलग-अलग पदों पर नियुक्ति की गई है.
चारा घोटाले मामले में पूछताछ हो या फिर बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत केस से जुड़े ड्रग्स विवाद की जांच की अगुवाई हो, राकेश अस्थाना हमेशा ही सुर्खियों में रहे हैं. अगर उनके करियर की बात करें तो 9 जुलाई, 1961 को जन्मे राकेश अस्थाना गुजरात कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अफसर हैं. दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र रहे राकेश अस्थाना बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से जुड़े चारा घोटाला मामले को लेकर सबसे पहले सुर्खियों में आए थे. उस समय राकेश अस्थाना को एक तेज तर्रार युवा अधिकारी के रूप में ख्याति मिलनी शुरू हुई थी.
बहुचर्चित चारा घोटाला मामला जब सामने आया था, तब राकेश अस्थाना की उम्र 35 वर्ष थी और उन्होंने बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव से करीब छह घंटे तक पूछताछ की थी. उनकी अगुवाई में दाखिल चार्जशीट के बाद ही लालू यादव को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था. इसके साथ ही साल 2002 में गोधरा कांड की जांच भी राकेश अस्थाना ने की थी. 2002 में साबरमती एक्सप्रेस आगजगी मामले की जांच की जिम्मेदारी राकेश अस्थाना को मिली थी. साथ ही 2008 में अहमदाबाद में हुए बम ब्लास्ट की जांच में भी राकेश अस्थाना शामिल रहे थे. ये दोनों ही मामले तब के हैं जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे.
राजनीतिक जानकारों की माने तो गुजरात वापस लौटते ही उनके रिश्ते सत्तारूढ़ दल के नेताओं से काफी घनिष्ठ होते चले गए. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह उनकी कार्यशैली के कायल हो गए और उन्होंने अस्थाना पर भरोसा करना शुरू कर दिया. गुजरात सरकार ने गोधरा की घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था, जिसका नेतृत्व राकेश अस्थाना ने किया था.
अहमदाबाद के पास हुए चर्चित इशरत जहां के मुठभेड़ के विवादित मामले के सिलसिले में भी राकेश अस्थाना पर साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगे थे. इस सिलसिले में आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और आरोप लगाया था कि गुजरात सरकार के प्रभाव में राकेश अस्थाना ने साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़” करने की कोशिश की थी.
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