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दिल्ली सरकार प्रदूषण से लड़ने के लिए 20 नवंबर तक कृत्रिम बारिश कराने के पक्ष में

अधिकारियों ने कहा कि आईआईटी-कानपुर टीम से मिली जानकारी के अनुसार, कृत्रिम बारिश कराने के लिए केंद्र सरकार के 10 मंत्रालयों और एजेंसियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार की अनुमति की आवश्यकता होगी.

दिल्ली सरकार ने शहर में खतरनाक वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया पर आने वाले पूरे खर्च को वहन करने का फैसला किया है और मुख्य सचिव को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष सरकार के इस विचार को पेश करने का निर्देश दिया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर केंद्र फैसले का समर्थन करता है, तो दिल्ली सरकार 20 नवंबर तक शहर में पहली कृत्रिम बारिश की व्यवस्था कर सकती है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कृत्रिम बारिश पर आने वाली लागत वहन करने का फैसला किया है। अगर केंद्र, दिल्ली सरकार को अपना समर्थन देता है, तो 20 नवंबर तक कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव को उच्चतम न्यायालय को सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि दिल्ली सरकार सैद्धांतिक रूप से आईआईटी-कानपुर टीम की सलाह के आधार पर पहले और दूसरे चरण की प्रायोगिक पहल की लागत (कुल 13 करोड़ रुपये) वहन करने के लिए सहमत हो गई है.

अधिकारियों ने कहा कि आईआईटी-कानपुर टीम से मिली जानकारी के अनुसार, कृत्रिम बारिश कराने के लिए केंद्र सरकार के 10 मंत्रालयों और एजेंसियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार की अनुमति की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि टीम ने सिफारिश की है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की आपात स्थिति को देखते हुए, पहले चरण में 300 वर्ग किलोमीटर के हिस्से को कवर करने वाली पहली कृत्रिम बारिश तत्काल की जा सकती है.

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को कहा था कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इस महीने ‘क्लाउड सीडिंग’ के जरिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना बना रही है. राय ने आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक की, जिन्होंने बताया कि ‘क्लाउड सीडिंग’ की कोशिश तभी की जा सकती है जब वातावरण में नमी या बादल हों. मंत्री ने पत्रकारों से कहा था, विशेषज्ञों का अनुमान है कि 20-21 नवंबर के आसपास ऐसे हालात बन सकते हैं. हमने वैज्ञानिकों से बृहस्पतिवार तक एक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है, जिसे उच्चतम न्यायालय को सौंपा जाएगा. राय ने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए केंद्र और राज्य सरकारों दोनों से मंजूरी प्राप्त करना समय के हिसाब से संवेदनशील मामला है.

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भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कृत्रिम बारिश कराने का प्रयास तभी किया जा सकता है जब बादल हों या नमी हो. ‘क्लाउड सीडिंग’ में संघनन को बढ़ावा देने के लिए पदार्थों को हवा में फैलाया जाता है, जिसके नतीजतन बारिश होती है. ‘क्लाउड सीडिंग’ के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे आम पदार्थों में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड और शुष्क बर्फ (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) शामिल हैं.

इस तकनीक का उपयोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किया गया है, मुख्य रूप से उस स्थान पर जहां पानी की कमी या सूखे की स्थिति होती है.

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