दिल्ली : वीजा स्कैम का पर्दाफाश! सात लोग गिरफ्तार, नौकरी खोज रहे लोगों को ऐसे बनाते थे शिकार
फेक वीजा रैकेट का दिल्ली पुलिस के द्वारा भंडाफोड़ किया गया है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही पुलिस ने जानकारी देते हुए यह भी बताया है कि इस गैंग का सरगना इनामुल हक है जो कि बिहार के दरभंगा का रहने वाला है. आइए जानते है पूरा मामला विस्तार से.
Delhi Visa Scam Case : फेक वीजा रैकेट का दिल्ली पुलिस के द्वारा भंडाफोड़ किया गया है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही पुलिस ने जानकारी देते हुए यह भी बताया है कि इस गैंग का सरगना इनामुल हक है जो कि बिहार के दरभंगा का रहने वाला है. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्य आरोपी इंजीनियरिंग कर चुका है और पढ़ाई पूरी करने के बाद फेक वीजा रैकेट चलाकर आम लोगों को चूना लगा रहा था. साथ ही जानकारी यह भी सामने आई है कि वह इस पूरे काम को दिल्ली के जामिया इलाके में रह कर ही अंजाम देता था.
दुबई भेजकर नौकरी लगाने का झांसा
दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कुल 7 लोगों को गिरफ्तार किया और मीडिया को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी है कि इनके जाल में फंसने वाले लोगों की संख्या हजारों में हो सकती है. पुलिस ने बताया कि इस मामले में अधिकतर शिकायत करने वाले केरल राज्य के है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, दुबई भेजकर नौकरी लगाने का झांसा देकर ये गैंग अब तक करीब 1000 लोगों को चूना लगा चुका है.
कैसे देते थे अंजाम?
इस मामले पर जानकारी देते हुए दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच के सीपी रवींद्र यादव ने बताया कि ये लोग वसंत कुंज, महिपालपुर या द्वारका जैसी अच्छी जगह पर एक फ्रंट ऑफिस खोलते थे. साथ ही नौकरी डॉट कॉम जैसे प्लेटफॉर्म से वैसे लोगों का डाटा निकालते यथे जिन्हें गल्फ देशों में काम करना होता था. जो लोग उन पर विश्वास करते थे और उनकी कॉल का जवाब देते थे उन्हें कॉल करके दुबई नौकरी दिलाने का झांसा देते और हर शिकार से करीब 60 हजार रुपये झटक लेते थे.
टूरिस्ट वीजा लगवाकर विश्वास में लेते थे लोगों को
पुलिस ने यह भी बताया है कि ये गैंग पहले उस शख्स को टूरिस्ट वीजा लगवाकर विश्वास में लेते थे और फिर दुबई पहुंचने के बाद वर्क परमिट मिलने की बात कहकर किश्तों में मोटी रकम ले लेते थे. साथ ही जानकारी यह भी मिली है कि इनके शिकार ज्यादातर केरल और साउथ इंडिया के लोग होते थे. जो गल्फ कंट्री जाकर ज्यादा पैसा कमाने की चाहत रखते थे.
पुलिस के मुताबिक, आरोपियों की पहचान इनाम-उल-हक अंसारी (32), ताबिश हाशमी (26), मोहम्मद तबरेज़ आलम (26), तारिक शम्स (26), एकराम मुजफ्फर (19), शंकर कुमार शाह (28) और सोमराज (26) के तौर पर हुई है. अपराध शाखा के विशेष आयुक्त रवींद्र सिंह यादव ने कहा, “ये ठग पीड़ितों को अलग-अलग कंपनियों की ओर से फोन करते थे. ये कंपनियां उन्होंने फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर पंजीकृत कराई थी. ये लोग ईमेल भेजकर फोन कर पीड़ितों को प्रलोभन देते थे कि उनके द्वारा अपलोड की गईं जानकारियां खाड़ी के एक देश में नौकरी के लिए उपयुक्त हैं.”
वे मेडिकल जांच, दस्तावेज़ीकरण और परामर्श शुल्क के नाम पर पैसे की मांग करते थे. पुलिस ने कहा कि 100 से अधिक लोगों को ठगने के बाद, वे अपनी फर्जी कंपनियों को बंद कर देते थे और बाद में कार्यालय खाली कर देते थे. जांच के दौरान पुलिस ने अंसारी को ज़ाकिर नगर से गिरफ्तार किया. विशेष आयुक्त ने बताया कि बाद में उसके साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने बताया कि आरोपियों के पास से आठ लैपटॉप, 12 मोबाइल फोन, 110 पासपोर्ट, बिल बुक, विभिन्न फर्जी कंपनियों के लेटरहेड, नौ स्टांप पैड, दो क्यूआर कोड स्कैनर, 11 चेकबुक और अलग अलग बैंकों की दो पासबुक बरामद की गईं.