डेल्टा प्लस वेरिएंट को आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक ने बताया बेहद गंभीर, कहा- अगर ये ब्रेन तक पहुंच गया तो न्यूरोलॉजिकल लक्षण ज्यादा पैदा होंगे
Delta Plus Variant देश के कई राज्यों में कोरोना की तीसरी लहर के आने की चर्चा के बीच डेल्टा प्लस वेरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज हो रही है. इन सबके बीच, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ICMR) के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग के पूर्व प्रमुख डॉ. रमन गंगाखेड़कर का कहना है कि डेल्टा वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा गया है और यह वेरिएंट बहुत तेजी से फैला है.
Delta Plus Variant देश के कई राज्यों में कोरोना की तीसरी लहर के आने की चर्चा के बीच डेल्टा प्लस वेरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज हो रही है. इन सबके बीच, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ICMR) के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग के पूर्व प्रमुख डॉ. रमन गंगाखेड़कर का कहना है कि डेल्टा वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा गया है और यह वेरिएंट बहुत तेजी से फैला है.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर (Ex Head Scientist Of Epidemiology & Communicable Diseases ICMR) ने कहा कि अगर डेल्टा वेरिएंट चिंता का विषय है, तो डेल्टा प्लस वेरिएंट को भी इसी श्रेणी के तौर पर देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब डेल्टा वेरिएंट कोशिकाओं से कोशिकाओं (Cell To Cell Transfer) तक पहुंचता है तो शरीर के अंगों को नुकसान के संदर्भ में इसका क्या मतलब है. उन्होंने आगे कहा कि अगर डेल्टा प्लस वेरिएंट ब्रेन तक पहुंच गया तो इससे न्यूरोलॉजिकल लक्षण ज्यादा पैदा होंगे.
When I said #DeltaVariant can go for cell to cell transfer, what does it mean in terms of damage to organs? If it goes into brain, what will happen? It's more likely to produce neurological symptoms as common manifestation: Raman Gangakhedkar, ex-Head Scientist, ICMR pic.twitter.com/2q1Rv1AL7Y
— ANI (@ANI) June 26, 2021
रमन गंगाखेड़कर ने आगे कहा कि ये निर्भर करता है कि मैं शरीर के किस अंग की बात कर रहा हूं. उन्होंने कहा, डेल्टा प्लस वेरिएंट उन अंगों को विशेष तौर पर नुकसान पहुंचाएगा, अगर यह सच साबित होता है कि यह मुख्य पैथाफिजियोलॉजिकल परिवर्तन का कारण बन रहा है और अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर रहा है. इससे पहले आईसीएमआर के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग के पूर्व प्रमुख डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने कहा है कि जब तक कोविड-19 की कोई असरकारक दवा नहीं आ जाती तब तक टीकाकरण और मास्क ही इससे बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है. उनके मुताबिक कोरोना की ताजा लहर से लोगों को आतंकित होने की नहीं सबक लेने की जरूरत है.
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