केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू और धर्मेंद्र प्रधान ने लोकतंत्र और संस्थानों की स्वतंत्रता पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के अखबार में छपे लेख को लेकर जमकर निशाना साधा. दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने कहा, यह उच्च स्तरीय अनैतिकता वाला ‘भ्रामक’ बयान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति नफरत का सटीक उदाहरण है.
लोकतंत्र सिर्फ एक बार मरा…
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सोनिया गांधी पर हमला करते हुए कहा, श्रीमती सोनिया गांधी लोकतंत्र के बारे में व्याख्यान दे रही हैं? कांग्रेस पार्टी की ओर से न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बारे में बात करना उच्च स्तरीय अनैतिकता वाला भ्रामक बयान है. उन्होंने अपना एक पुराना वीडियो ट्विटर पर शेयर किया, जिसमें वो लोकतंत्र पर बोलते नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा, भारतीय लोकतंत्र केवल एक बार मरा था, 1975 में और उसके बाद कभी नहीं.
धर्मेंद्र प्रधान ने सोनिया गांधी को लिया आड़े हाथ
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी सोनिया गांधी टिप्पणी को ‘मोदी के प्रति नफरत, गलत प्राथमिकताएं और राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिकता को जरूरत से ज्यादा महत्व दिये जाने का सटीक उदाहरण’ करार दिया. उन्होंने कहा, यह कांग्रेस है जो दोराहे पर खड़ी है, राष्ट्र नहीं. आने वाले दिन महत्वपूर्ण हैं, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी राजनीतिक संकट के कगार पर है. उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट में आरोप लगाया कि राजस्थान से छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से कर्नाटक तक कांग्रेस को पहले अपने संगठनात्मक तंत्र तक अपना संदेश पहुंचाना चाहिए जो आंतरिक लोकतंत्र की कमी के साथ-साथ चाटुकारों की मंडली के कारण मुरझा रहा है.
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Smt Sonia Gandhi is lecturing about Democracy? Congress Party talking about independence of Judiciary is : An illusory statement of the highest improbity. https://t.co/JUQmXhY4Sq pic.twitter.com/QAIb6KzvRP
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) April 11, 2023
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर लगाया गंभीर आरोप
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने विपक्षी एकजुटता की पैरवी करते हुए अंग्रेजी के प्रमुख अखबार ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित एक लेख में कहा कि उनकी पार्टी संविधान की रक्षा के लिए समान विचार वाले सभी दलों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए यह आरोप भी लगाया कि सरकार भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों… विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को व्यवस्थित तरीके से खत्म करने का काम कर रही है और उसके कदम लोकतंत्र के प्रति ‘गहरे तिरस्कार’ को दर्शाते हैं.