सीएए और एनआरसी को लेकर लखनऊ के घंटा घर पर चल रहे प्रदर्शन को आखिरकार धरने पर बैठी महिलाओं ने स्थगित करने का फैसला कर लिया. यह फैसला कोरोना के बढ़ते प्रभाव की वजह से लिया गया. जिसके बाद 66 दिनों से चल रहे धारना प्रदर्शन पर ब्रेक लग गया.
आपको बता दें कि यह धरना प्रदर्शन 17 जनवरी से चली आ रही थी. प्रदर्शनकारी महिलाओं ने यह फैसला रविवार रात 3 बजे लिया जिसके बाद उनलोगों को पुलिस की निगरानी में घर पहुंचाया गया.
धरने पर बैठी महिलाओं ने कहा कि जब तक सरकार की तरफ से लॉकडाउन समाप्त करने घोषणा नहीं कर दी जाती तब तक हमलोग अपना प्रदर्शन को स्थगित करते हैं, लॉकडाउन समाप्त होने के बाद हमलोग फिर से इस लड़ाई को जारी रखेंगे.
हालांकि धरना स्थल खाली करने के बाद भी महिलाओं ने सांकेतिक प्रदर्शन के लिए वहां अपने दुपट्टे छोड़ दिए हैं.
वहां पर बैठी महिलाओं ने आगे कहा कि अगर हम में से किसी को भी कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी हो जाती है तो हमारा धरना बदनाम हो जाएगा.
हमने ये निर्णय देश हित में लिया है इसलिए जबतक लॉकडाउन है तबतक धरना स्थगित रहेगा, लेकिन समाप्त नहीं. वहीं अपर मुख्य सचिव(गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने इसे लेकर कहा कि घंटाघर का धरना अब खत्म हो चुका है.
गौरतलब है कि सीएए और एनआरसी को लेकर प्रदर्शन दिल्ली के शाहीन बाग स्थित जगह पर भी चल रहा है, हालांकि वहां पर स्थित धरना प्रदर्शन बंद तो नहीं हुआ है लेकिन प्रदर्शन करने वाले लोगों की संख्या में कमी जरूर आयी है.
आपको बता दें कि कोरोना के भारत में अब तक 415 मामले सामने आ चुके हैं जबकि पूरे विश्व में इस बीमारी से 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी है. भारत में भी कोरोना से अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि दुनिया भर में इस बीमारी से अब तक तीन लाख से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हैं.