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4 लेयर के सुरक्षा घेरे में चौबंद है संसद भवन, आसान नहीं है अभेद्य किले में सेंध लगाना

सुरक्षाकर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए गेट नंबर 8 से ही गिरफ्तार कर लिया और पुलिस के हवाले कर दिया

By ArbindKumar Mishra | March 5, 2020 8:29 PM

नयी दिल्‍ली : भारतीय संसद भवन की सुरक्षा में एक बार फिर से सेंध लगाने की नाकाम कोशिश हुई. 3 जिंदा कारतूस के साथ एक शख्‍स ने संसद भवन के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था, तभी सुरक्षाकर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए उसे गेट नंबर 8 से ही गिरफ्तार कर लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.

गिरफ्तार शख्‍स का नाम अख्‍तर खान बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि संसद भवन में घुसने की कोशिश कर रहा शख्‍स गाजियाबाद का रहने वाला है.

पुलिस ने बताया कि अख्तर के संसद में घुसते समय सुरक्षाकर्मियों ने जांच के समय उसके पर्स में कारतूस देखे. जिसके बाद उसे संसद में प्रवेश नहीं दी गई. अख्तर का कहना था कि वह संसद में घुसने से पहले उन्हें बाहर निकालना भूल गया था. हालांकि पुलिस ने पूछताछ के बाद शख्‍स को छोड़ दिया.

मालूम हो शख्‍स जिस समय संसद भवन में घुसने की कोशिश कर रहा था उस समय कोई भी विधायी कार्य नहीं हो रहा था. मालूम हो आज बजट सत्र में हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही जल्‍द ही खत्‍म कर दी गयी थी.

संसद में 4 लेयर की सुरक्षा : भारतीय संसद की सुरक्षा 4 लेयर में होती है. 24 घंटें सुरक्षा कर्मी अलर्ट पर रहते हैं. संसद की सुरक्षा पार्लियामेंट सिक्‍योरिटी सर्विस करती है. ये सुरक्षा तीन परतों में होती है. संसद की सुरक्षा का जिम्‍मा ज्‍वाइंट सेक्रेटरी के हाथों में होती है.

संसद में प्रवेश के लिए 12 गेट हैं, जिसमें 24 घंटे रहती है बड़ी सुरक्षा : संसद के कुल मिलाकर 12 गेट हैं. जिसमें कुछ से आवाजाही होती है बाकी बंद रहते हैं. आमतौर पर संसद परिसर में जिन गेटों से आवाजाही होती है, वहां किसी भी शख्स की पूरी तलाशी होती है तभी उसे प्रवेश की अनुमति होती है. सांसदों, मंत्रियों और अफसरों की गाड़ियों में ऐसे स्टिकर लगे होते हैं, जिससे उन्हें कैमरों के जरिए खुद-ब-खुद गेट से अंदर प्रवेश मिल जाती है.

13 दिसंबर 2001 : जब संसद भवन में हुआ था आतंकी हमला

गौरतलब है कि 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ था. दोपहर को विपक्ष के हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही स्‍थगित कर दी गयी थी. कार्यवाही स्‍थगन के करीब 40 मिनट बाद हथियारबंद आतंकवादी संसद परिसर में दाखिल हुए. उस समय एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री थे. कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी और सोनिया गांधी विपक्ष की नेता के पद पर थीं. सदन की कार्यवाही स्‍थगित होने के बाद प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तो सदन से चले गये थे, लेकिन तत्‍कालीक गृहमंत्री लालकृष्‍ण आडवाणी सहित सैकड़ो सांसद अंदर ही मौजूद थे.

जब आतंकवादी संसद भवन परिसर में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे तब गलती से उनकी कार तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के काफिले से जा टकराई. टक्कर के बाद कोई कुछ समझ पाता इससे पहले ही आतंकवादी कार से बाहर निकलकर अंधाधुंध फायरिंग करने लगे. आतंकवादियों की संख्‍या पांच थी और उनके पास एके 47 था. इस हमले में पांच पुलिसकर्मी, एक संसद का सुरक्षागार्ड और एक माली की मौत हो गयी, जबकि 22 अन्य लोग घायल हो गये थे. इस हमले में सभी सांसद और केंद्रीय मंत्री हमले के बाद पूरी तरह से सुरक्षित रहे.

सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच करीब एक घंटे तक मुठभेड़ चला. हमले की बाद जांच एजेंसियों ने अफजल गुरु, शौकत हुसैन, एसएआर गिलानी और नवजोत संधू को अभियुक्त बनाया. सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने नवजोत संधू को पांच साल सश्रम कारावास और बाकी तीनों को मौत की सजा सुनायी. बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने एसएआर गिलानी को बरी कर दिया और शौकत हुसैन की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया.

मुख्‍य अभियुक्त अफजल गुरु की मौत की सजा पर दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया. अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया.

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