छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खात्मे का प्रयास जारी है, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी नक्सलवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. आए दिन राज्य में नक्सलियों की ओर से उत्पात मचाने की खबर मिलती रहती है. राज्य की भोगौलिक संरचना जो है, वो नक्सलियों के छिपने और षड़यंत्र रचने के लिए काफी उपयोगी साबित हुई है.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जैसे इलाकों में नक्सलियों की तूती बोला करती थी. नक्सलियों की धमक को देखते हुए सुरक्षाकर्मियों को भी इलाके में कैंप लगाना पड़ रहा है. नक्सलियों की कारस्तानी को रोकने के लिए पुलिस ने कैंप तो लगाया, लेकिन उनकी सबसे बड़ी चुनौती थी स्थानीय निवासियों को अपने भरोसे में लेना. बच्चें, बूढ़े, पुरुष, महिलाएं सभी की साठ-गांठ नक्सलियो के साथ बनी होती थी.
ये स्थानीय निवासी नक्सलियों को सुरक्षाबलों की हरकतों की पल- पल की खबर दिया करते थे. मगर हम ये भी नहीं कह सकते कि इसमें गलती स्थानीय लोगों की है. क्योंकि, ये भोले-भाले गांववालों को नक्सली अपनी बातों में लेकर शासन- प्रशासन के खिलाफ इतना भड़का देते है कि नतीजतन अपने ही इलाके में सुरक्षाबलों के बार-बार हस्तक्षेप से वो आहत हो जाते है और नक्सलियों से हाथ मिला लेते है.
नक्सलियों के गढ़ में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार 8 नए शिविरों का गठन करने की योजना बना रही है. हालांकि, ऐसा करने के लिए सरकार को काफी विरोध का सामना करना पड़ सकता है. ने शिविर कैंप दंतेवाड़ा, कोंडागांव, बीजापुर और सुकमा जिलों में लगाए जाने है. माओवादियों के गढ़ में पुलिस कैंप लगवाना राज्य सरकार की नक्सल विरोधी नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
मीडिया से बात करते हुए गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि माओवादियों के कब्जे वाले इलाकों में पुलिस कैंप स्थापित करना राज्य सरकार की नक्सल विरोधी नीति का एक अहम हिस्सा है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कैंप खुलते ही इन इलाकों में नक्सलियों की पकड़ अपने आप कमजोर होने लगेगी और अन्य विकास कार्य भी किए जा सकेंगे.
इस बीच छत्तीसगढ़ के सोनपुर क्षेत्र से एक वीडियो सामने आया है जिसमें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की निगरानी में विकास कार्य चल रहा है. इसी कड़ी में नारायणपुर के एसपी पुष्कर शर्मा ने इलाके में हो रहे विकास कार्यों की ट्वीट कर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हम नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान चला रहे हैं और विकास कार्यों को सुरक्षा भी देने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसका मकसद है सरकारी योजनाएं भीतरी इलाकों तक पहुंच सकें.