म्यांमार में सेना की तानाशाही हद पार, 5 बच्चों सहित 11 ग्रामीणों को पहले मारा फिर शवों को जला डाला
म्यांमार(Myanmar) में सेना की तानाशाही सारे हदें पार कर चुकी हैं. सैनिकों ने 11 ग्रामीणों को पहले मौत के घाट उतारा फिर सबूत मिटाने के लिए सारे शवों को आग के हवाले कर दिया.
म्यांमार(Myanmar) में सेना लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हुए सारे हदें पार कर रही है. लोकतंत्र के खिलाफ सेना की मनमनी ने इस बार आम नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया है. खबरों की मानें तो इस बार म्यांमार की सेना(Myanmar Soldiers) ने 11 ग्रामीणों को गोली मार दी इतना ही नहीं अपनी हैवानियत का सबूत मिटाने के लिए सारे शवों को आग के हवाले कर दिया. बताया जा रहा है कि मरने वालों में 5 बच्चे भी थे. घटना की जानकारी तब सामने आई जब म्यांमार के उत्तर-पश्चिम के डॉन ताव गांव की तस्वीरे और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं.
आपको बता दें कि ये पहला मामला नहीं जब सेना की हैवियत ने लोकतंत्र का कत्लेआम किया हो. वायरल वीडियो में सेना की क्रूरता साफ दिख रही है. वीडियों के बारे में बताया जा रहा है कि लोगों को गोली मारने और शवों को जलाने के कुछ ही समय बाद लिया गया था. वहीं, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस घटना को म्यांमार(Myanmar) में लोकतंत्र को कुचलने को लेकर सेना के मकसद का एक उदाहरण बताया है. वहीं, आपको बता दें कि घटना का वीडियो सामने आने के बाद भी अबतक घटना को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है.11 लोगों की मौत कैसे हुई इसे लेकर अब तक कोई पुष्टि सामने नहीं आई है.वहीं, न्यूज एंजेसी एसोसिएट प्रेस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार उसे इस घटना की जानकारी एक शख्स ने दी जो घटनास्थल पर गया था.
संयुक्त राष्ट्र ने घटना की कड़ी निंदा की
इधर म्यांमार(Myanmar) की इस घटना की संयुक्त राष्ट्र ने कड़ी निंदा की है. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने 11 लोगों को गोली मारने और फिर शवों को जलाने को पर गहरी चिंता जताई है साथ ही हिंसा को लेकर कड़ी निंदा की है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि विश्वसनीय रिपोर्टों से ये संकेत मिलते हैं कि घटना में मारे गए 11 लोगों में 5 बच्चे भी शामिल थें.
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वहीं, आपको बता दें कि पिछले दिनों सैन्य तख्तापलट कर नोबेल पुरस्कार विजेता और म्यांमार की जन नेता आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को दूसरा कार्यकाल से पहले रोक दिया है. इसके अलावा सू की को 4 सालों के लिए जेल भेज दिया है. उनके खिलाफ कोविड नियमों के उल्लघंन और सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने के मामले में सजा सुनाई गई है. उनके खिलाफ कई मुकदमें चल रहे हैं. बता दें कि सान सू की सैन्य शासन के तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने वाली बड़ी नेताओं में एक हैं. उनकी लोकप्रियता आज भी बरकरार है.