राष्ट्रपति चुनाव : अलग-अलग रंग के बैलेट पेपर वोट दे रहे सांसद-विधायक, मतगणना में होगी आसानी
राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों का वोट उस राज्य की आबादी पर निर्भर करता है, जिसका वह प्रतिनिधित्व करते हैं. इस बार एक सांसद के मत की कीमत 700 है. चूंकि अलग-अलग रंग के बैलेट पेपर होंगे. लिहाजा, निर्वाचन अधिकारियों को मतों की गिनती में आसानी होगी.
नई दिल्ली : राष्ट्रपति चुनाव के लिए आज मतदान जारी है. भारत के निर्वाचन आयोग ने मतगणना में सहूलियत के लिए सांसदों और विधायकों के लिए अलग-अलग रंग के बैलेट पेपर जारी किए हैं. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को हो रहे मतदान के दौरान सांसदों और विधायकों को अलग-अलग रंग के बैलेट पेपर दिए जा रहे हैं. सांसदों को जहां हरे रंग के बैलेट पेपर दिया जा रहा है, जबकि वहीं विधायकों को गुलाबी रंग के मतपत्र मिल रहा है.
बैलेट पेपर में दिए गए हैं दो कॉलम
बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों का वोट उस राज्य की आबादी पर निर्भर करता है, जिसका वह प्रतिनिधित्व करते हैं. इस बार एक सांसद के मत की कीमत 700 है. चूंकि अलग-अलग रंग के बैलेट पेपर होंगे. लिहाजा, निर्वाचन अधिकारियों को मतों की गिनती में आसानी होगी. बैलेट पेपर में दो कॉलम छपे हुए हैं. पहले कॉलम में उम्मीदवारों के नाम हैं, तो दूसरे में निर्वाचक मंडल के सदस्यों को प्रत्येक उम्मीदवार के लिए वरीयता क्रम लिखने की जगह निर्धारित की गई है.
एमएलसी और मनोनीत सदस्य नहीं कर सकेंगे वोट
इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडी) की उम्मीदवार हैं, तो विपक्ष की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को संयुक्त उम्मीदवार बनाया गया है. राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और दिल्ली तथा केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं. राज्यसभा और लोकसभा या राज्यों की विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र नहीं हैं. इसलिए, वे चुनाव में भाग लेने के हकदार नहीं होते. इसी तरह, विधान परिषदों के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाता नहीं होते हैं.
संसद भवन और विधानसभाओं में होगा मतदान
राष्ट्रपति चुनाव में मतदान संसद भवन और राज्यों की विधानसभाओं में होता है. मतों की गिनती संसद भवन में होती है. इस बार मतगणना 21 जुलाई को होगी. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा नहीं होने की वजह से इस बार सांसदों के मतों का मूल्य 708 से घटकर 700 हो गया है. राज्यों में विधायकों के मतों के मूल्य अलग-अलग हैं. उत्तर प्रदेश के प्रत्येक विधायक का राष्ट्रपति चुनाव में मत मूल्य अन्य किसी राज्य के विधायक से अधिक है.
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उत्तर प्रदेश के विधायकों के मतों का मूल्य अधिक
उत्तर प्रदेश के विधायकों के मत का मूल्य 208 है, जबकि झारखंड और तमिलनाडु के विधायकों का मूल्य 176 है. महाराष्ट्र में यह 175, सिक्किम में सात, नगालैंड में नौ और मिजोरम में आठ है. द्रौपदी मुर्मू अगर यह चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बन जाती हैं, तो स्वतंत्रता के बाद जन्मी इस टॉप पद पर पहुंचने वाली पहली नेता होंगी. वह देश की पहली आदिवासी और सबसे युवा राष्ट्रपति भी होंगी.