Digital Arrest: भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट का नहीं है प्रावधान
केंद्र सरकार राज्यों को वित्तीय मदद और दिशानिर्देश के तहत साइबर अपराध और डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों में मदद करती है. साइबर अपराध से निपटने के लिए केंद्र सरकार व्यापक और सतत अभियान चला रही है.
Digital Arrest: हाल के वर्षों साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार कई स्तर पर काम कर रहे हैं. लेकिन कुछ महीनों से डिजिटल अरेस्ट का मामला काफी सुर्खियों में रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में भी कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी किसी तरह की बात को इंकार कर चुके हैं. इसके अलावा सरकार डिजिटल अरेस्ट को लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान भी चला रही है. एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री ने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है. अपराध को रोकने, जांच और सजा दिलाने का काम राज्यों का है.
साइबर अपराध से जुड़े मामलों को हल करने की जिम्मेदारी भी राज्यों की है. साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों से निपटने का भी काम राज्य पुलिस के हवाले हैं. लेकिन केंद्र सरकार राज्यों को वित्तीय मदद और दिशानिर्देश के तहत साइबर अपराध और डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों में मदद करती है. साइबर अपराध से निपटने के लिए केंद्र सरकार व्यापक और सतत अभियान चला रही है. इसके लिए राज्य सरकारों को कई स्तर पर सहयोग मुहैया कराया जा रहा है.
गृह मंत्रालय निभा रहा है सक्रिय भूमिका
साइबर अपराध से निपटने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर(आई4सी) का गठन किया है. यह एजेंसी देश में सभी तरह के साइबर अपराध से निपटने में व्यापक स्तर पर कदम उठाती है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ मिलकर भारतीय नंबर से फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल का पहचान के लिए एक व्यवस्था तैयार की है. साइबर अपराधी फर्जी विदेशी नंबर के लिए आम लोगों को ठगने का काम रहे हैं. इसके अलावा डिजिटल अरेस्ट, कोरियर कंपनियों के नाम पर ड्रग्स भेजने के कई मामले सामने आए हैं.
केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों को ऐसे फोन नंबरों को ब्लॉक करने के लिए सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया है. इसके अलावा साइबर ठगी से निपटने के लिए आधुनिक साइबर फ्रॉड मिटीटेशन सेंटर का गठन किया है, जिसमें बैंक, वित्तीय संस्थान, टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों के अलावा अन्य हितधारकों को शामिल किया गया है. सरकार के प्रयास के कारण 15 नवंबर 2024 तक 6.69 सिम कार्ड को ब्लॉक किया गया है.