Digital India, coronavirus crisis in india, Finance Ministry: कोरोना संकट काल के इस दौर में केंद्र की मोदी सरकार ने खर्चों में कटौती के मद्देनजर एक बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत सरकार ने अब सरकारी प्रिंटिंग गतिविधियों को बंद करने का निर्णय किया है. यानी, अब विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, सरकारी कंपनियों और बैंकों की ओर से कैलेंडर, डायरी, शेड्यूलर और अन्य दूसरी सामग्री की प्रिंटिंग नहीं कराई जाएगी.
भारत सरकार ने भी बेस्ट प्रैक्टिस को अपनाने का फैसला किया है. कॉफी टेबल बुक्स की प्रिंटिंग भी नहीं होगी और ई-बुक्स के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा. मंत्रालय ने कहा है कि सभी संबंधित विभागों को इस संबंध में डिजिटल और ऑनलाइन फॉर्मेट अपनाना चाहिए.इसको लेकर वित्त मंत्रालय की ओर से 2 सितंबर को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि ऐसी सभी वस्तुओं को अब केवल डिजिटल रूप में जारी किया जाएगा.
Economy Instructions:
✅All calendars, diaries, schedulers & similar other materials will now be published digitally by Ministries/Departments/PSUs/PSBs
✅All organs of the govt to adopt innovative means to use digital or online methodsRead more➡️https://t.co/6Bno0x02xz pic.twitter.com/HqWlJnYZBS
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) September 2, 2020
यानी पाठकों को डिजिटल फॉर्मेट पर अब ये कंटेंट उपलब्ध होंगे. सरकार का मानना है कि इससे प्रिंटिंग पर होने वाले खर्च की बचत होगी. और डिजिटल माध्यम से इसे बेहतर तरीके से लोगों तक पहुंचाया जाएगा. गौरतलब है कि अभी भी बड़े पैमाने पर सरकारी काम-काज में खाता-बही का इस्तेमाल होता है. अब सरकार के इसे फैसले से जहां डिजिटल का इस्तेमाल बढ़ेगा, साथ ही काम आसान होगा. देश में बैंकिंग सेक्टर से डिजिटल लेन-देन को बड़ी तेजी से अपनाया है.
कोरोना संकट काल के इस दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर में 23.9 फीसदी की रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है. 40 साल में ऐसा पहली बार है जब भारतीय अर्थव्यवस्था घटी है. इस बीच सरकार का टैक्स कलेक्शन भी लगातार घट रहा है.
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अगस्त में लगातार तीसरे महीने जीएसटी कलेक्शन गिरा है. कोरोना महामारी का असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा है. इस साल राजकोषीय घाटे के भी लक्ष्य से दोगुना रहने की आशंका है. यही वजह है कि सरकार अपने खर्चों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है.
Posted By: Utpal kant