कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रोन से बचने के लिए बूस्टर डोज की सख्त जरूरत : डॉ नरेश त्रेहन
कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रोन से बचने के हमें विदेश से आने वाले लोगों पर खास निगरानी रखनी चाहिए. अगर हम ऐसा नहीं करते हैं, तो हम पछताने के अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं.
कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर भारत के डॉक्टरों में बहुत चिंता है. डॉक्टर इस वैरिएंट से बचाव के तरीकों पर विचार कर रहे हैं साथ ही वे यह चेतावनी भी दे रहे हैं कि अभी कम से कम 15 दिन तक हमें बहुत सावधानी रखनी है.
दिल्ली के मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहन का कहना है कि हमें विदेश से आने वाले लोगों पर खास निगरानी रखनी चाहिए. अगर विदेश से आने वाले यात्रियों पर हम कड़ी नजर नहीं रखेंगे तो आने वाले दिनों में हम पछताने के अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं.
डॉ नरेश त्रेहन ने कहा कि अगर हम विदेशी फ्लाइट्स को रोक नहीं सकते तो हमें सुनिश्चित करना होगा कि जो भी विदेश से आये, उसे 6-7 दिनों तक कोरेंटिन रखा जाये, उसके बाद उसकी आरटी- पीसीआर टेस्ट निगेटिव आने के बाद ही उसे अपने घर जाने दिया जाये.
बूस्टर डोज की सख्त जरूरत
डॉ त्रेहन ने कहा कि अब समय आ गया है कि जिन लोगों को कोरोना का दूसरा डोज आठ-नौ महीने पहले लगा है उन्हें बूस्टर डोज लगाया जाये. इसके साथ ही यह जरूरी है कि हम अपने बच्चों की इम्युनिटी बढ़ायें और उनके लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत करें.
वहीं डॉ राजेश पारिख, जसलोक अस्पताल के डायरेक्टर ने कहा कि ओमिक्रोन बहुत ज्यादा संक्रामक है. हालांकि अभी यह नहीं बताया जा सकता है कि यह वायरस कितना खतरनाक है. वहीं डॉ राकेश मिश्रा ने कहा कि हमें इस वायरस को गंभीरता से तो लेना ही है लेकिन बहुत ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है. हमें सावधानी पूर्वक इस वायरस के बारे में पता करना है उसके बिहेवियर को देखना होगा. इसके अलावा वैक्सीनेशन पर जोर देना बहुत जरूरी है साथ ही कोरोना प्रोटोकॉल का पालन भी जरूरी है.
जानें ओमिक्रोन वैरिएंट को
कोरोना वायरस का ओमिक्रोन वैरिएंट बहुत ही खतरनाक माना जा रहा है और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मैटर ऑफ कंसर्न बताया है. इस वैरिएंट का स्पाइक प्रोटीन में 30 से 50 म्यूटेशन हो चुका है, जिसकी वजह से यह कहा जा रहा है कि यह बहुत ही संक्रामक वायरस है. हालांकि अभी यह नहीं बताया जा सकता कि इस वायरस पर वैक्सीन का कितना असर है. अभी इस बीमारी के जो लक्षण उभरकर सामने आये हैं वे बहुत मामूली हैं और इस वायरस की पहचान करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि इस वायरस के बारे में बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा है जो सही नहीं है.