नयी दिल्ली : सिनेमा और मल्टीप्लेक्स परिचालकों ने ‘अनलॉक’ के दूसरे चरण में सिनेमाघरों को खोलने की अनुमति नहीं देने के सरकार के फैसले पर निराशा जताई है. उन्होंने कहा कि इस बारे में जल्द कोई निर्णय लेने से फिल्म उद्योग को संसाधन जुटाने में मदद मिल सकती है.
एमएआई ने एक बयान में कहा कि सिनेमाघरों को फिल्म उद्योग की रीढ़ माना जाता है जिसका फिल्म व्यवसाय में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान है और उन्हें खोलने की अनुमति देने के बारे में जल्द कोई निर्णय लेने से सिनेमा उद्योग को संसाधन जुटाने और धीरे-धीरे भारतीय मल्टीप्लेक्स संघ (एमएआई) के पुनरुत्थान में मदद मिलेगी. एमएआई के अनुसार, विश्व स्तर पर, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका जैसे देशों में उच्च स्तर के सुरक्षा प्रोटोकॉल को लागू करते हुए सिनेमाघरों को खोला गया है.
अन्य क्षेत्रों की तरह ही सिनेमा को भी पूरे भारत में कोविड-19 से मुक्त क्षेत्रों में परिचालन करने की अनुमति दी जाए. एमएआई के सदस्य आलोक टंडन ने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खोला जा रहा है, जिसमें घरेलू यात्रा, कार्यालय, बाजार, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, इत्यादि शामिल हैं, ऐसे समय में एमएआई, सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्सों को निषिद्ध सूची में रखने से दुखी है.
सरकार के इस निर्णय को काफी निराश करने वाला करार देते हुए, एमएआई ने कहा, ‘‘असंगठित क्षेत्र में खुदरा दुकानों की तुलना में, मल्टीप्लेक्स और सिनेमा संगठित क्षेत्र का हिस्सा हैं .. और इसलिए, बाज़ार की भीड़ भाड़ के विपरीत अपने यहां भीड़ को सीमित रखने और भीड़ को नियंत्रित करने तथा सामाजिक दूरी बनाकर रखने के संबंध में सभी तंत्र और दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए एक बेहतर स्थिति में है.”
भारत में मल्टीप्लेक्स उद्योग सीधे तौर पर 2,00,000 (दो लाख) से अधिक लोगों को रोजगार देता है और जिसका फिल्म व्यवसाय के राजस्व में लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा है.