Disaster Management: जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. आपदा के कारण जान-माल का काफी नुकसान होता है और इससे निपटना बड़ी चुनौती है. फिलीपींस के मनीला में ‘सर्ज टू 2030: एनहांसिंग एंबिशन इन एशिया पैसिफिक टू एक्सिलरेट डिजास्टर रिस्क रिडक्शन’ विषय पर एशिया-प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन हो रहा है. इस सम्मेलन में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल शामिल हुआ. सम्मेलन का उद्घाटन फिलीपींस के राष्ट्रपति बोंग बोंग मार्कोस ने किया.
इस सम्मेलन में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के मंत्री और नीति निर्माता जलवायु संबंधी चुनौतियों के मद्देनजर आपदा जोखिम को कम करने की रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं. सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि आपदा एक ऐसी सच्चाई है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता. आपदा के कारण जान-माल, अर्थव्यवस्था तथा समग्र विकास को नुकसान होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपदा जोखिम कम करने के लिए 10-सूत्री एजेंडा के तहत आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए समावेशी और त्वरित कार्रवाई करने को लेकर भारत प्रतिबद्ध है.
आपदा से निपटने की भारत की कोशिश
गृह राज्य मंत्री ने कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीपीआर) में अग्रिम चेतावनी प्रणाली (ईडब्लूएस) और अग्रिम कार्रवाई, आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना और डीपीआर के लिए वित्तीय प्रावधान पर विशेष जोर दिया है. ईडब्लूएस के लिए आधुनिक तकनीक जैसे कॉमन एलर्टिंग प्रोटोकॉल (सीएपी) और सेल ब्रॉडकास्ट सिस्टम, इंडियन सुनामी अर्ली वॉर्निंग सेंटर की स्थापना की गयी है. यह सेंटर अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी के लिए हिंद महासागर के 25 देशों को सुनामी संबंधी सलाह मुहैया कराता है.
सतत विकास के लिए कोएलेशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का गठन किया गया है, जिसमें अब 47 देश सदस्य हैं. यह आपदा रोधी बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण में मदद मुहैया कराता है. भारत उन कुछ चुनिंदा देशों में से एक है, जिन्होंने संस्थागत तंत्र के माध्यम से डीपीआर के लिए डेडिकेटेड वित्तीय प्रावधान किए हैं और भारत के 15वें वित्त आयोग ने वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबंधन निधि और राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन निधि के लिए 30 बिलियन डॉलर आवंटित किया है.