Disha Encounter Case: दिशा केस में आरोपियों के एनकाउंटर को लेकर देश भर में सवाल उठने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक कमिशन बनाकर घटना की जांच करने का आदेश दिया था. कमिशन ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर दी है. सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व वाले पैनल ने कहा है कि मुठभेड़ में मारे गए चार दुष्कर्म और हत्या के आरोपियों में से तीन नाबालिग थे.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस सिरपुरकर कमीशन ने शुक्रवार को कहा कि हैदराबाद में 2019 के सनसनीखेज सामूहिक दुष्कर्म और एक महिला की हत्या के आरोपियों की पुलिस मुठभेड़ फर्जी थी. सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट से कमिशन रिपोर्ट पर एक्शन लेने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व में तीन सदस्यीय पैनल ने कहा कि मुठभेड़ में मारे गए चार आरोपियों में से तीन नाबालिग थे. पैनल ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट में हत्या के आरोपी पुलिसकर्मियों पर मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी.
नवंबर, 2019 में हैदराबाद के पास शमशाबाद में एक 26 वर्षीय पशु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई. जिसको लेकर देशभर में हंगामा हुआ था. इस घटना में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था. इसके बाद उसी साल 6 दिसंबर को शादनगर के पास अपराध स्थल पर एक मुठभेड़ में चारों आरोपी मारे गए थे. पुलिस ने दुष्कर्म और हत्या पीड़िता को उसकी पहचान बचाने के लिए दिशा नाम दिया था. वह एक सरकारी अस्पताल में एक पशु चिकित्सा सहायक सर्जन थी और एक रात चार लोगों ने उस पर हमला किया था.
चार लोगों ने महिला के साथ बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी और फिर उसके शरीर को एक ट्रक में लाद दिया और उस रात बाद में एक पुल के नीचे जला दिया. इस घटना ने देशव्यापी आक्रोश फैलने के बाद तेलंगाना पुलिस पर फास्ट-ट्रैक कोर्ट ट्रायल के आधार पर बिना देर किए सजा देने का दबाव आ गया. सभी आरोपी 6 दिसंबर 2019 को बेंगलुरु-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक पुल के नीचे पुलिस हिरासत में मारे गए थे.
पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने कथित तौर पर बंदूकें छीन लीं और अधिकारियों पर हमला कर दिया. साइबराबाद पुलिस ने कहा कि आगामी मुठभेड़ में सभी चार आरोपी मारे गए. हालांकि, दिशा मुठभेड़ को कई लोगों ने न्यायेतर निष्पादन के उदाहरण के रूप में देखा. लेकिन, देश भर में हजारों लोगों ने आरोपी की मौत के रूप में त्वरित न्याय का जश्न मनाया. साइबराबाद पुलिस द्वारा आरोपियों की न्यायेतर हत्याओं के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस सिरपुरकर आयोग का गठन किया गया था.