नयी दिल्ली : देश में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट को खरीदने में कथित भ्रष्टाचार को लेकर अफवाहों का दौर जारी है. इस विवाद पर रोक लगाने के लिए सोमवार को आइसीएमआर ने स्पष्टीकरण जारी किया. इसमें कहा गया है कि आइसीएमआर ने रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट की आपूर्ति को लेकर कोई भुगतान नहीं किया है, क्योंकि इसमें नियत प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था. वहीं, संबंधित कंपनी के साथ करार भी रद्द कर दिया गया है. आइसीएमआर ने कहा कि दो चीनी कंपनियों (बायोमेडिक्स और वोंडॉफ) की किट की खरीद के लिए पहचान की गयी थी.
दोनों के पास अपेक्षित अंतरराष्ट्रीय प्रमाणपत्र भी थे. वोंडॉफ के लिए मूल्यांकन समिति को चार बोलियां मिलीं. इनके मूल्य 1204 रुपये, 1200 रुपये, 844 रुपये और 600 रुपये था. इसके बाद 600 रुपये की बोली को एल-1 के रूप में विचार किया गया. इधर, आइसीएमआर ने राज्य सरकारों को रैपिड एंटीबॉडी जांच को लेकर संशोधित एडवाइजरी जारी की है. आइसीएमआर ने कहा कि वह गुआंगझोउ वोंडफो और झुहाई लिवजोन डायग्नोस्टिक्स किट का इस्तेमाल न करें. इन दो कंपनियों ने भारत में करीब सात लाख रैपिड टेस्ट किट भेजी थीं, इनमें से कई किट्स में गड़बड़ी पायी गयी थी.
जांच किट से जुड़ी मुनाफाखोरी की जांच और कार्रवाई हो : कांग्रेस कांग्रेस ने जांच किट को लेकर सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मनिष तिवारी ने इस मुनाफाखोरी और कालाबाजारी की तत्काल जांच कराकर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है. मनिष तिवारी ने कहा कि एक कंपनी को ठेका दिया गया कि वह चीन से पांच लाख जांच किट खरीदे. वह ठेका आइसीएमआर के कहने पर दिया गया.
चीन से जो किट आयात किये गये हैं, उनकी कीमत 245 प्रति किट बनती है. पांच लाख किट की कुल कीमत 12 करोड़ 25 लाख रुपये बनती है. आयात करने वाली कंपनी ने ये किट दूसरी कंपनी को 21 करोड़ रुपये में बेचे. फिर इस कंपनी ने आइसीएमआर को ये किट 30 करोड़ रुपये में दी. इस तरह दो कंपनियों ने मिलकर 18.75 करोड़ रुपये का मोटा मुनाफा कमाया.