कर्नाटक सरकार अन्ना भाग्य स्कीम को लागू करने को लेकर तत्पर है. इसी के मद्देनजर कर्नाटक अब पंजाब, छत्तीसगढ़ और अन्य पड़ोसी राज्यों से अनाज खरीदने की योजना बना रहा है. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने बेंगलुरु में कहा, हमने पंजाब, छत्तीसगढ़ और अन्य पड़ोसी राज्यों से बात की है. हम उनसे अनाज खरीदने जा रहे हैं। मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि गरीबों के पेट पर राजनीति न करें, आप अपना चावल नहीं दे रहे हैं यह किसानों का चावल है. हमें किसी से मुफ्त चावल नहीं चाहिए, कर्नाटक सरकार खरीदने में सक्षम है.
हमने पंजाब, छत्तीसगढ़ और अन्य पड़ोसी राज्यों से बात की है। हम उनसे अनाज खरीदने जा रहे हैं। मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि गरीबों के पेट पर राजनीति न करें, आप अपना चावल नहीं दे रहे हैं यह किसानों का चावल है। हमें किसी से मुफ्त चावल नहीं चाहिए, कर्नाटक सरकार खरीदने में… pic.twitter.com/J7oV4Zgwor
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 20, 2023
दरअसल कर्नाटक कांग्रेस सरकार की अपनी दूसरी गारंटी योजना सभी बीपीएल परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो खाद्यान्न प्रदान करने वाली अन्ना भाग्य स्कीम को लागू करने की तैयारी में है जिसे उस वक्त झटका लगा जब केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक नोट जारी कर भारतीय खाद्य निगम (FCI) के स्टॉक से राज्य सरकारों को गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी. जिसे लेकर केंद्र और कर्नाटक सरकार आमने सामने हो गए.
इसकी निंदा करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह कर्नाटक को गरीबों को अनाज की आपूर्ति करने से रोकने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लिया गया एक “राजनीतिक निर्णय” है. आपको बताएं कि, कर्नाटक सरकार ने अन्न भाग्य योजना के तहत अनाज की आपूर्ति के लिए एफसीआई से 2.28 लाख मीट्रिक टन मांगा था. सिद्धारमैया ने कहा कि एफसीआई ने 12 जून को दो पत्रों में लगभग 2.22 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति करने पर सहमति व्यक्त की थी. लेकिन एक दिन बाद मंगलवार को केंद्रीय मंत्रालय का एफसीआई को राज्य सरकारों को अनाज बेचने के खिलाफ निर्देश आया.
सिद्धारमैया ने दावा किया कि सात लाख टन चावल का स्टॉक होने के बावजूद केंद्र राज्यों को एफसीआई की बिक्री रोक रहा है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक ने चावल की खेती करने वाले राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, तेलंगाना और अन्य से संपर्क किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसकी योजना बाधित न हो और इसे 1 जुलाई से लागू किया जाए. 36.6 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल प्राप्त करने की उम्मीद पर कर्नाटक द्वारा अभी इस योजना के लिए निर्धारित मासिक व्यय 840 करोड़ रुपये है
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