Language War: DMK सांसद के बिगड़े बोल, हिंदी अविकसित राज्यों की भाषा . . .
Language War: द्रमुक सांसद टीकेएस एलंगोवन ने हिन्दी को अविकसित राज्यों की भाषा बताया है. उन्होंने कथित जातिवादी टिप्पणी भी की है. सांसद ने कहा कि हिंदी सिर्फ अविकसित राज्यों जैसे बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में मातृभाषा है
Language War: द्रमुक सांसद टीकेएस एलंगोवन (dmk mp tks elangovan) ने हिंदी को अविकसित राज्यों की भाषा बताकर भाषा-युद्ध की बहस में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने एक कथित जातिवादी टिप्पणी भी की. टीकेएस एलंगोवन (tks elangovan)ने कहा कि हिन्दी केवल अविकसित राज्यों जैसे बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में मातृभाषा है.
I didn't coin the word 'Shudra'.Tamil society is an equanimous society&didn't practice class difference in the south.Because of entry of the language from North,it has divided us also.People during Dravidian movement fought for education rights of Shudras, OBCs: TKS Elangovan,DMK pic.twitter.com/GtVfmsKxpy
— ANI (@ANI) June 6, 2022
तेज हो सकता है भाषा युद्ध
टीकेएस एलंगोवन (dmk mp tks elangovan) ने कहा कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों को देखिए. क्या ये सभी विकसित राज्य नहीं हैं? इन सभी राज्यों में हिंदी मातृभाषा नहीं है.”
अपने बयान पर एलंगोवन ने कही ये बात
बाद में अपने बयान पर उन्होंने कहा कि मैंने कोई आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की है. तमिल समाज एक समतामूलक समाज है और दक्षिण में वर्ग भेद का अभ्यास नहीं करता. उत्तर से भाषा के प्रवेश के कारण इसने हमें भी विभाजित कर दिया है. मैंने जो कहा वह यह था कि जब हिंदी में प्रवेश किया तो यह हमारे लिए उत्तर में लागू की गई सांस्कृतिक प्रथा को ला सकता है.
हाल ही में तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के पोनमुडी (K. Ponmudy) ने भी उस समय विवाद खड़ा कर दिया था, जब उन्होंने कहा था कि राज्य में हिन्दी बोलने वालों के लिए नौकरी की संभावनाएं कमजोर हैं क्योंकि उनमें से ज्यादातर पानी-पूरी बेचते हैं और छोटे-मोटे काम करते हैं.
भाषा युद्ध पर पहले भी हो चुका है विवाद
इस साल की शुरुआत में भारत में भाषा पर बड़े पैमाने पर भाषा युद्ध छिड़ गया था जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि यह तय किया गया है कि सरकार चलाने के लिए हिंदी माध्यम होगी. संसदीय राजभाषा समिति के अध्यक्ष ने सदस्यों को बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल का 70% एजेंडा अब हिंदी में तैयार किया गया है.
इसके अतिरिक्त, उन्होंने जोर देकर कहा कि जब अन्य भाषा बोलने वाले राज्यों के नागरिक एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं, तो यह भारत की भाषा में होना चाहिए, और हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए न कि स्थानीय भाषा के लिए. उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि ‘हिंदी को देश की एकता का अहम हिस्सा बनाया जाए.