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मिसाल : बेटा अस्पताल में कोरोना से लड़ रहा है जंग, डॉक्टर ने बुजुर्ग महिला का किया अंतिम संस्कार

डॉ वरुण गर्ग ने बताया कि पिछले बुधवार को मैंने सरदार वल्लभ भाई पटेल अस्पताल के जूनियर स्टाफ से बात की, तो उन्होंने मुझसे कहा कि कोरोना से एक बुजुर्ग महिला ने जान गंवा दी है और उसका बेटा भी पॉजिटिव होने की वजह से अंतिम संस्कार करने की स्थिति में नहीं है. फिर मैंने उस कर्मचारी से बुजुर्ग महिला परिजन या पड़ोसियों से तुरंत संपर्क करने के लिए कहा. जब गुरुवार तक कोई सामने नहीं आया, तब मैंने परिवार को मदद करने का फैसला किया. डॉ गर्ग ने कहा कि तब मैंने अपने साथ डॉक्टरों से उनके अंतिम संस्कार के लिए महिला के बेटे से सहमति लेने की बात की.

नई दिल्ली : कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डॉक्टर और फ्रंट लाइन वर्कर्स ने इस संकट की घड़ी में एक बार फिर मानवता की मिसाल पेश करना शुरू कर दिया है. ऐसी ही मिसाल नॉर्थ दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन मेडिकल कॉलेज एंड हिंदुराव अस्पताल के फॉरेंसिक मेडिसीन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ वरुण गर्ग ने पेश किया है. दरअसल, कोरोना से अस्पताल में एक बुजुर्ग महिला ने अपनी जान गंवा दी. उसका बेटा भी सरदार वल्लभ भाई पटेल अस्पताल में कोरोना से जंग लड़ रहा है. ऐसे में, अस्पताल के डॉक्टर साथी के साथ मिलकर उन्होंने महिला का अंतिम संस्कार कर दिया.

डॉ वरुण गर्ग ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि पिछले बुधवार को मैंने सरदार वल्लभ भाई पटेल अस्पताल के जूनियर स्टाफ से बात की, तो उन्होंने मुझसे कहा कि कोरोना से एक बुजुर्ग महिला ने जान गंवा दी है और उसका बेटा भी पॉजिटिव होने की वजह से अंतिम संस्कार करने की स्थिति में नहीं है. फिर मैंने उस कर्मचारी से बुजुर्ग महिला परिजन या पड़ोसियों से तुरंत संपर्क करने के लिए कहा. जब गुरुवार तक कोई सामने नहीं आया, तब मैंने परिवार को मदद करने का फैसला किया. डॉ गर्ग ने कहा कि तब मैंने अपने साथ डॉक्टरों से उनके अंतिम संस्कार के लिए महिला के बेटे से सहमति लेने की बात की.

उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने लिखित में अनुमति देने के साथ ही मुझे उनके स्थान पर अंतिम संस्कार करने का अधिकार दिया. हालांकि, यह बहुत ही दुखदायी था कि इस अंतिम संस्कार में न तो उनके परिवार का कोई सदस्य मौजूद था और न आसपास के कोई पड़ोसी या संबंधी. उन्होंने कहा कि महिला का बेटा फिलहाल सरदार वल्लभ भाई पटेल अस्पताल में इलाज करा रहा है.

बेटे से अनुमति मिलने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों के सहयोग से 78 साल की बुजुर्ग महिला को निगम बोध घाट ले जाया गया. डॉ गर्ग ने बताया कि मैंने महिला का अंतिम संस्कार करने के बाद उनकी अस्थियों को वहीं लॉकर में रखवा दिया है, ताकि कोरोना से ठीक होने के बाद उनका बेटा उसे गंगा में प्रवाहित कर देगा.

डॉ गर्ग ने कहा कि वे और उनका परिवार (उनकी मां और पत्नी) पिछले सप्ताह ही कोरोना से ठीक हुए हैं और वे पिछले शनिवार से दोबारा अपने काम पर वापस लौट आए हैं. उन्होंने कहा कि यदि इस चुनौतीपूर्ण घड़ी में कोई उनका साथ दे, तो यह उनके लिए सहानुभूति और बहुत बड़ा पुरस्कार होगा. उन्होंने कहा कि हमें इस महामारी के बीच एक-दूसरे की मदद की जरूरत है.

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