Doctors protest: स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार गठित करेगी कमेटी

कोलकाता में रेजिडेंट डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले को लेकर देश भर के डॉक्टर आंदोलनरत है. डॉक्टरों की मांग की देखते हुए केंद्र सरकार ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कमेटी गठित करने की बात कही है.

By Vinay Tiwari | August 17, 2024 3:19 PM
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Doctors protest: कोलकाता में रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुए हादसे को लेकर देश भर के डॉक्टर आंदोलन कर रहे हैं. डॉक्टरों की मांग है कि उनकी सुरक्षा के लिए कानून बनाया जाए. शनिवार को फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ गवर्नेंटल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान डॉक्टरों के संगठन की ओर से कार्यस्थल पर सुरक्षा के मुद्दों पर मांग रखी गयी. मंत्रालय ने डॉक्टरों की मांग को गंभीरता से सुना और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का आश्वासन दिया. सरकार ने कहा कि मौजूदा हालात में स्वास्थ्य कर्मियों की मांग को लेकर संवेदनशील है. देश के 26 राज्यों में स्वास्थ्य कर्मियों के सुरक्षा को लेकर कानून बनाया जा चुका है. लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को लेकर अभी भी कई तरह के सवाल बने हुए हैं. डॉक्टरों के संगठन की मांग को देखते हुए मंत्रालय ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और डॉक्टरों की चिंता पर गौर करने के लिए एक कमेटी के गठन की घोषणा की. इस कमेटी के समक्ष सभी हितधारक और राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जायेगा. कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद सरकार आगे का कदम उठाएगी.  मंत्रालय की ओर से हड़ताली डॉक्टरों से डेंगू और मलेरिया के बढ़ते मामले को देखते हुए जनहित में तत्काल काम पर लौटने की गुजारिश की. 

क्यों हड़ताल पर है डॉक्टर

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी छात्रा से बलात्कार और हत्या के मामले को लेकर देश भर के डॉक्टर आंदोलन कर रहे हैं. डॉक्टरों की मांग है कि पीड़िता को न्याय मिलने के साथ ही कार्यस्थल पर स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाया जाए. कोलकाता मामले को लेकर देशभर के मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं. अब इस मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई कर रही है. लेकिन कई संगठन सरकार के आश्वासन से खुश नहीं हैं और एक सख्त कानून की मांग कर रहे हैं. 

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