20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

उज्जैन के काल भैरव मंदिर में चढ़ाई जाती है मदिरा?, जानें क्या है इसका रहस्य

भगवान शिव का भैरव स्वरूप रौद्र और तमोगुणी है, लेकिन कहा यह भी जाता है कि काल भैरव अपने भक्तों की करुण पुकार सुनकर सहायता करने के लिए तत्काल दौड़े चले आते हैं.

नई दिल्ली : देवाधिदेव महादेव कल्याणकारी देवता माने जाते हैं. हिंदू धर्मावलंबियों के सर्वप्रिय भगवान शंकर या महादेव जी के कई स्वरूप हैं. इन्हीं स्वरूपों में एक स्वरूप महाकाल और काल भैरव का भी है. काल भैरव हिंदुओं के कल्याणकारी देवता भगवान शिव का उग्र स्वरूप है, जो विनाश या प्रलय से जुड़ा हुआ है. देवाधिदेव के उग्र स्वरूप काल भैरव का मंदिर भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों के आसपास देखे जा सकते हैं. खासकर, जब हम उज्जैन के महाकाल मंदिर की बात करते हैं, तो यहां भी भैरवगढ़ में काल भैरव विराजमान हैं. बताया जाता है कि उज्जैन में काल भैरव का मंदिर सबसे अनोखा है. बताया यह भी जाता है कि काल भैरव के मंदिर में मदिरा चढ़ाई जाती है.

प्लेट में रखकर भैरोनाथ को परोसी जाती है मदिरा

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भगवान शिव का भैरव स्वरूप रौद्र और तमोगुणी है, लेकिन कहा यह भी जाता है कि काल भैरव अपने भक्तों की करुण पुकार सुनकर सहायता करने के लिए तत्काल दौड़े चले आते हैं. कहा यह भी जाता है कि काल भैरव के मंदिर में भगवान शंकर के इस रौद्र स्वरूप को मदिरा चढ़ाई जाती है. मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि काल भैरव मंदिर के मुख्य पुजारी भक्तों के द्वारा चढ़ाई गई मदिरा को एक प्लेट में रखकर भगवान के मुख से सटा देते हैं और कहा यह भी जाता है कि भक्तों के देखते-देखते ही भगवान भैरोनाथ मदिरा पान कर जाते हैं.

चढ़ाई गई मदिरा का नहीं चलता है पता

चौंकाने वाली बात यह भी है कि भगवान भैरोनाथ के सैकड़ों भक्तों द्वारा प्रतिदिन काफी मात्रा में मदिरा चढ़ाई जाती है, लेकिन इतनी मात्रा में परोसी गई मदिरा कहां चली जाती है, उसका पता नहीं चलता और इस रहस्य को कोई नहीं जानता. काल भैरव के भक्तों की मानें, तो भगवान भैरोनाथ में मदिरापान करने की चमत्कारिक शक्ति है. इतना ही नहीं, उज्जैन में महाकाल के मंदिर से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित काल भैरव के इस मंदिर के आसपास की दुकानों में फूल, प्रसाद और श्रीफल के साथ बोतलों में मदिरा भी रखी जाती है. जो भक्त भगवान काल भैरव का दर्शन करने जाते हैं, वे अनिवार्य तौर पर प्रसाद और श्रीफल के साथ भगवान भैरोनाथ को मदिरा भी चढ़ाते हैं.

प्राचीनकाल में विशेष अवसरों पर चढ़ाई जाती थी मदिरा

बता दें कि उज्जैन में काल भैरव का यह मंदिर करीब छह साल पुराना है. इसे एक वाममार्गी तांत्रिक मंदिर भी कहा जाता है. बताया यह भी जाता है कि वाम मार्ग वाले मंदिरों में मांस-मदिरा का प्रसाद चढ़ाने के साथ ही बलि देने की भी परंपरा है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में उज्जैन के काल भैरव मंदिर में केवल तांत्रिकों के प्रवेश की अनुमति थी. वे यहां पर तांत्रिक क्रियाएं करते थे और विशेष अवसरों पर काल भैरव को मदिरा चढ़ाया जाता था. बाद के वर्षों में यह मंदिर आमजन के लिए खोल दिया गया, लेकिन बाबा भैरोनाथ ने भक्तों की ओर से चढ़ाई गई मदिरा को पहले ही की तरह स्वीकारना जारी रखा.

Also Read: Shri Mahakal Lok: मनमोह लेगी महाकाल लोक की प्रतिमाएं, तस्वीरों में देखें अद्भुत नजारा
मदिरा चढ़ाने के पीछे क्या है रहस्य

काल भैरव मंदिर में भगवान भैरानाथ को भोग के तौर पर मदिरा क्यों चढ़ाई जाती है और क्या है इसका रहस्य? इस सवाल पर काफी बहस की गई और यहां तक कि गुलामी के दौरान एक अंग्रेज अधिकारी ने इसकी जांच भी कराई थी. इतना ही नहीं, उस अंग्रेज अधिकारी ने काल भैरव मंदिर के आसपास खुदाई भी करवाई थी, लेकिन इतना कुछ करने के बावजूद उसे कुछ हाथ नहीं लगा. बताया यह भी जाता है कि काफी जांच-परख करने के बाद भी जब रहस्य पता लगाने में अंग्रेज अधिकारी विफल रह गए, तो वे भी भगवान भैरोनाथ के भक्त बन गए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें