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पति की प्रताड़ना के बाद तलाक लेकर बनी पुलिसकर्मी, अब महिलाओं को दिलायेगी न्याय

Kerala Woman Noujisha Began Become Cop केरल की रहने वाली 31 वर्षीय नौजिशा बेगम ने पुलिसकर्मी बनकर समाज में एक मिसाल पेश किया है. शादी के बाद की अपनी जिंदगी के बारे में बताते हुए नौजिशा बेगम भावुक हो जाती है. उन्होंने खुद को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है. साथ ही कई मुश्किलों का सामना भी किया है. अपने बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि एक वक्त था, जब उन्होंने आत्महत्या करने का मन बना लिया था. हालांकि, खुद को ऐसा करने से रोकने में वो कामयाब हुई और आगे की जिंदगी को बेहतर बनाने के अपने प्रयासों को जारी रखा. जिसके बाद आज वो एक कामयाब महिला के तौर पर समाज के अन्य महिलाओं के एक मिसाल बनी है.

Kerala Woman Noujisha Began Become Cop केरल की रहने वाली 31 वर्षीय नौजिशा बेगम ने पुलिसकर्मी बनकर समाज में एक मिसाल पेश किया है. शादी के बाद की अपनी जिंदगी के बारे में बताते हुए नौजिशा बेगम भावुक हो जाती है. उन्होंने खुद को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है. साथ ही कई मुश्किलों का सामना भी किया है. अपने बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि एक वक्त था, जब उन्होंने आत्महत्या करने का मन बना लिया था. हालांकि, खुद को ऐसा करने से रोकने में वो कामयाब हुई और आगे की जिंदगी को बेहतर बनाने के अपने प्रयासों को जारी रखा. जिसके बाद आज वो एक कामयाब महिला के तौर पर समाज के अन्य महिलाओं के एक मिसाल बनी है.

अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में नौजिशा बेगम ने बताया कि 2013 में शादी से पहले उन्होंने एमसीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद अतिथि शिक्षक के तौर पर काम करना शुरू किया था. उन्होंने कहा कि शादी से पूर्व अपने होने वाले पति और उनके परिवार के सदस्यों को अपने कैरियर और महात्वाकांक्षा के बारे में बता दिया था. इसके लिए वे तैयार भी हुए थे. हालांकि, बाद में मेरे साथ कुछ और ही हुआ. मेरे पति की नजरों में हमारे द्वारा मेहनत के बल पर हासिल किए गए सर्टिफिकेट की कोई वैल्यू नहीं थी. समय बीतने के साथ ही मैं घरेलू हिंसा का शिकार होने लगी. परेशान होकर साढ़े तीन साल बाद मैं अपने बेटे को लेकर मायके लौट गयी.

नौजिशा बेगम ने बताया कि पति के घर को छोड़ने के बाद मैंने फिर से पढ़ाने का काम शुरू किया. साथ ही केरल पब्लिक सर्विस कमीशन (KPSC) के लिए कोचिंग लेना शुरू कर दिया. हालांकि, बाद में कमीशन की तैयारी के लिए वक्त कम पड़ने मैंने पढ़ाने का काम छोड़ने का मूड बना लिया. इस दौरान मैंने अपनी पति से तलाक के लिए अर्जी भी दायर भी किया था. यह वक्त हमारे लाइफ में बहुत ही मुश्किलों भरा था. तलाक के लिए मुकदमा लड़ना, कमीशन की तैयारी के लिए कोचिंग क्लास के लिए वक्त निकालने के साथ हीअपने बच्चे की देखभाल, इन सभी को एक साथ करना बहुत कष्ट देने वाला था.

नौजिशा बताती है कि अगले साल मुझे एर्नाकुलम जिले में लोअर डिवीजन क्लर्क पद के लिए केपीएससी पूरक सूची में जगह मिली. एक महिला अफसर द्वारा मुझे शारीरिक परीक्षा में शामिल होने के बुलाया गया. हालांकि, परिणाम मुझे निराश करने वाले मिले. लेकिन, निडर होकर मैंने परीक्षाओं में भाग लेना जारी रखा. आगे जाकर मुझे वीमेन सिविल पुलिस ऑफिसर (WCPO) पद के लिए राज्य-व्यापी सूची में 141वां रैंक और त्रिशूर में मुस्लिम में पहला स्थान तथा एर्नाकुलम मेंआठवां रैंक प्राप्त हुआ. फिर मैंने 15 अप्रैल को वीमेन कॉप के तौर सर्विस ज्वाइन किया.

अपनी सफलता की कहानी बताते हुए नौजिशा भावुक हो जाती है और आगे कहती है, वो उन महिलाओं की मदद करना चाहती है, जो घरेलू हिंसा और अपने पति की प्रताड़ना को झेल रही है. उन्होंने बताया, ऐसे हालत में पुलिस की मदद लेने में किसी तरह का संकोच नहीं करना चाहिए. मिथ्रा-181 (Mithra 181) जो एक हेल्पलाइन नंबर है, ऐसी महिलाओं के लिए है. नौजिशा बताती है कि अभी भी गांवों में रहने वाली कई महिलाओं को इस सेवा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. नौजिशा ने बताया कि उनकी बड़ी बहन से मुश्किल वक्त में उनका बहुत साथ दिया है. आज उनका बेटा छह साल का हो गया है. उन्होंने कहा कि मुश्किल वक्त में भी खुद को मजबूत बनाने के रास्ते तलाशने चाहिए.

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