भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास अध्यादेशों को लागू करने, क्षमादान देने और प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर राज्यों व देश में आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर करने का अधिकार होगा. संवैधानिक प्रमुख के रूप में राष्ट्रपति संविधान का संरक्षक होता है और उसे संसद सत्र बुलाने तथा सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के तौर पर काम करने जैसी शक्तियां हासिल हैं.
![क्षमादान और आपातकाल की घोषणा के साथ-साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास आयी ये शक्तियां 1 Undefined](https://pkwp1.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/Prabhatkhabar/2022-07/206f14ae-545a-4b2f-ba5e-929a76d5485d/25071_pti07_25_2022_000052a.jpg)
द्रौपदी मुर्मू को आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत संसद के दोनों सदनों और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को मिलाकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा राष्ट्रपति चुना गया था. द्रौपदी मुर्मू का पांच साल का कार्यकाल 24 जुलाई 2027 तक के लिए होगा. नियमों के तहत वह दोबारा राष्ट्रपति निर्वाचित की जा सकती हैं. हालांकि, देश में अभी तक दो कार्यकाल के लिए चुने जाने वाले एकमात्र राष्ट्रपति दिवंगत राजेंद्र प्रसाद हैं. भारत के राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 61 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार पद से हटाया जा सकता है. राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति को संबोधित त्यागपत्र लिखकर इस्तीफा दे सकता है.
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भारत संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति के पास निहित है. संविधान के मुताबिक मुर्मू द्वारा या तो सीधे या फिर उनके अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इस शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है. संवैधानिक प्रावधानों के तहत राष्ट्रपति के पास केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सिफारिश के आधार पर लोकसभा को भंग करने का भी अधिकार है. वह जब संसद के दोनों सदनों का सत्र चल रहे हो उसके अलावा किसी भी समय अध्यादेश जारी कर सकती हैं. राष्ट्रपति के पास वित्त एवं धन विधेयकों को पेश करने के लिए सिफारिशें करने का भी अधिकार है. वह विधेयकों को मंजूरी दे सकती हैं, क्षमादान दे सकती हैं, कुछ मामलों में सजा से राहत, उसमें कटौती या फिर उसे निलंबित कर सकती हैं.
Also Read: जोहार! नमस्कार! भारत के समस्त नागरिकों की आशा-आकांक्षा और अधिकारों के प्रतीक का अभिनंदन : द्रौपदी मुर्मूजब किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाता है, तब राष्ट्रपति उस राज्य की सरकार के सभी या चुनिंदा कार्यों को अपने हाथों में ले सकती हैं. राष्ट्रपति अगर इस बात से संतुष्ट हैं कि देश में एक गंभीर आपातकाल जैसी स्थिति है, जिससे भारत या उसके क्षेत्र के किसी भी हिस्से की सुरक्षा को खतरा है, फिर चाहे वह युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से हो तो वह आपातकाल लागू करने की घोषणा कर सकती हैं.