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एएमसीए परियोजना की मंजूरी के लिए डीआरडीओ ने सीसीएस से किया संपर्क

सरकार की ओर से डीआरडीओ से परियोजना की समय सीमा का पालन करने को कहा गया है. यही नहीं पहली परियोजना के नाम पर देरी से बचने के लिए भी केंद्र की मोदी सरकार ने कहा है. जानें एएमसीए परियोजना की मंजूरी के लिए डीआरडीओ ने सीसीएस से किया संपर्क

डिफेंस रिसर्च और डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानी डीआरडीओ (DRDO) ने कैंबिनेट की सुरक्षा समिति (CCS) का रुख किया है. आइए आपको बताते हैं आखिर किस चीज को लेकर डीआरडीओ ने पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली इस समिति के सामने अपनी बात रखी है. दरअसल, पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर के डिजाइन के बाद दो इंजन वाले उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) की मंजूरी के लिए कैंबिनेट सुरक्षा समिति के पास प्रस्ताव भेजा गया है. खबरों की मानें तो GE-414 संचालित AMCA का पहला प्रोटोटाइप 2026 तक तैयार हो जाएगा.

लागत में वृद्धि से बचने की सलाह पीएम मोदी ने दी

यहां चर्चा कर दें कि फंडिंग के लिए सीसीएस से संपर्क करने का डीआरडीओ का फैसला ऐसे समय में आया है जब पीएम मोदी ने संगठन को अपनी मुख्य क्षमता पर ध्यान केंद्रित करने और समय की देरी के साथ-साथ लागत में वृद्धि से बचने की सलाह दी है. इस साल मई-जून में फ्रांस में एयर इनटेक टेस्ट सर्टिफिकेशन पूरा होने के बाद GE-414 इंजन के साथ LCA तेजस मार्क II के अगले साल रोल आउट होने की उम्मीद है. क्योंकि मार्क II का Air Intake मार्क I की तरह ही हैं, इसलिए डीआरडीओ प्रमाणन प्राप्त करने और अगले वर्ष तक पहला प्रोटोटाइप तैयार करने को लेकर कॉन्फिडेंट है.

DRDO ने मार्क II और AMCA दोनों को एक ही इंजन से चलाने का फैसला किया

सरकार की ओर से डीआरडीओ से परियोजना की समय सीमा का पालन करने को कहा गया है. यही नहीं पहली परियोजना के नाम पर देरी से बचने के लिए भी केंद्र की मोदी सरकार ने कहा है. भारत में GE-414 इंजनों के Technology Production के 100 प्रतिशत हस्तांतरण के लिए भारत-अमेरिका के बीच बातचीत चल रही है. DRDO ने मार्क II और AMCA दोनों को एक ही इंजन से चलाने का फैसला किया है.

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तेजस मार्क I में GE-404 इंजन के साथ 3000 किमी की रेंज

DRDO का कहना है कि तेजस मार्क I में GE-404 इंजन के साथ 3000 किमी की रेंज है. छोटे फाइटर ने फरवरी में अबू धाबी एयरबेस में अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया. डीआरडीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह एयरक्राफ्ट की क्षमता उम्मीद से ज्यादा है. ईंधन भरने के माध्यम से लंबी दूरी की यात्रा कर सकता है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय अभ्यास के लिए एयरक्राफ्ट को भेजने का फैसला भारतीय वायु सेना को लेना होता है.

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