ECWCS extreme cold weather clothing system: आत्मनिर्भर भारत की तरफ भारतीय सेना ने एक और कदम बढ़ाया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन( डीआरडीओ) ने स्वदेशी और कड़ाके के ठंड के कपड़ों की प्रणाली(ECWCS) को 5 भारतीय कंपनियों को सौंप दिया है. इससे सेना काफी फायदा होगा. अब भारत में ही इन बेहद गर्म कपड़ों का निर्माण होगा. जिससे हिमालय पर तैनात जवानों के विशेष कपड़ों का निर्माण भी देश में ही होगा. डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने पिछले दिनों इस स्वदेशी तकनीक को पांच भारत की कंपनियों को सौंप दिया है. बता दें कि डीआरडीओ लगातार सेना के लिए काम कर रही है.
देश की सेवा में लगे हमारे सैनिकों को दुर्गम से दुर्गम स्थानों पर तैनात रहना पड़ता है. रेगिस्तानी इलाके से लेकर बर्फीली जगहों तक देश की सेवा में जुटे हमारे जवानों के लिए यह स्वदेशी तकनीक काफी फायदेमंद साबित होगी. बता दें फिलहाल ऊंचाई वाले जगहों पर तैनात जवानों के लिए विशेष गर्म कपड़ों के अलावा उपयोग में लाई जाने वाली दूसरी तकनीकों को बाहर से आयात करती है.
मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा कि डीआरडीओ की तरफ से डिजाइन की गई ECWCS प्रणाली सैनिकों के शारीरिक मुवमेंट के कई स्तरों के दौरान सहूलियत प्रदान करेंगा. हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आपेक्षित इन्सुलेशन पर आधारित है. बेहतर थर्मल इन्सुलेशन के साथ एक एर्गोनॉमिक तरीके से डिजाइन की गई मॉड्यूलर तकनीकी की कपड़ा प्रणाली है. जिससे काम करने में बेहद सहूलियत होगी.
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डीआरडीओ ने जानकारी देते हुए बताया कि तीन लेवल में डिजाइन किया गया है. इसमें 15 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान से लेकर माइनस 50 डिग्री तापमान के बीच थर्मल इन्सुलेशन के लिए बनाया गया है. इस तकनीक में सांस, गर्मी और पानी की कमी से लेकर पसीने को तेजी से सोखने से जुड़े शारीरिक गतिविधियों के दौरान सहूलियत मिलता है. इसमें वाटर प्रूफ और गर्मी प्रूफ जैसी विशेषताएं शामिल है. इसमें उन्नत इन्सुलेशन दिया गया है.