DRDO: सेना के लिए तैयार किया गया हल्का बुलेट प्रूफ जैकेट

डीआरडीओ ने आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक हल्के वजन वाला बुलेट प्रूफ जैकेट का विकास किया है. आधुनिक तकनीक के उपयोग कर बनाया गया यह जैकेट 360 डिग्री पर सुरक्षा मुहैया कराने में सक्षम है.

By Anjani Kumar Singh | September 25, 2024 7:24 PM
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DRDO: भारतीय सेना सरहद की सुरक्षा के लिए हर कठिन मौसम में तैनात रहती है. ऐसे में सैनिकों को हर तरह की सुविधा मुहैया कराना सरकार का काम है. सरकार सैनिकों की सुरक्षा और सुविधा के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रही है. इस कड़ी में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन(डीआरडीओ) ने आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक हल्के वजन वाला बुलेट प्रूफ जैकेट का विकास किया है. इस जैकेट का नाम अभेद(एंडवांस बैलिस्टिक फॉर हाई एनर्जी डिफिट) है.

इस जैकेट का विकास आईआईटी दिल्ली स्थित डीआरडीओ इंडस्ट्री एकेडेमिया सेंटर फॉर एक्सीलेंस की ओर से तैयार किया गया है. जैकेट के निर्माण में पॉलिमर और स्वदेशी बोरॉन कार्बाइड सिरेमिक मटेरियल से तैयार किया गया है. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले कानपुर स्थित रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (डीएमएसआरडीई) ने बीआईएस के उच्चतम खतरे स्तर 6 के खिलाफ सुरक्षा के लिए स्वदेशी हल्के वजन वाले बुलेट प्रूफ जैकेट (बीपीजे) को विकसित किया है. यह मोनोलिथिक सिरेमिक में अपनी तरह का पहला बुलेट प्रूफ जैकेट है.


आधुनिक तकनीक से बना है बुलेट प्रूफ जैकेट

जैकेट के डिजाइन में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. जैकेट में लगे आर्मर प्लेट प्रोटोकॉल के तहत सभी जरूरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट ट्रायल में सफल रहा है और खतरे से निपटने में पूरी तरह कारगर है. यही नहीं यह जैकेट भारतीय सेना के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट के तय वजन से काफी हल्का है. यह जैकेट 360 डिग्री पर सुरक्षा मुहैया कराने में सक्षम है. सरकार के तय मानकों को ध्यान में रखते हुए ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के लिए कुछ उद्योगों का चयन किया गया है. जल्द ही केंद्र सरकार चुने गए उद्योगों को टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण कर देगी.

इस उपलब्धि पर डीआरडीओ के चेयरमैन समीर कामत ने कहा कि हल्के बुलेट प्रूफ जैकेट डिफेंस क्षेत्र में मजबूत रिसर्च एंड डेवलपमेंट के मजबूत इकोसिस्टम को दर्शाता है. डीआरडीओ ने डिफेंस क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के विकास के लिए वर्ष 2022 में आईआईटी दिल्ली में इस केंद्र का गठन किया है. यह केंद्र डिफेंस क्षेत्र में कई तकनीक के विकास पर काम कर रहा है.  

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