Loading election data...

ऑक्सीजन की कमी को दूर करने वाली दवा, डीआरडीओ के वैज्ञानिक ने कहा- दवा लेने के बाद कम होगी ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत

ऑक्सीजन कीऑक्सीजन की कमी से हो रही मौत का एक बड़ा आंकडा है लेकिन अब इस पर लगाम लगेगी. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO ) ने एक ऐसी दवा बनायी है जो ऑक्सीजन की कमी को दूर करता है. दावा किया गया है कि इस दवा के इस्तेमाल के बाद कोरोना संक्रमितों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी हालांकि यह दवा डॉक्टरों की सलाह के बगैर नहीं ली जा सकेगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2021 8:37 AM

ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौत पर यह दवा लगाम लगा सकती है. इस दवा के इस्तेमाल से ऑक्सीजन की कमी दूर होती है और बाहर से ऑक्सीजन देने की जरूरत नहीं पड़ती. देश में कोरोना संक्रमितों की मरीज का एक अहम कारण समय पर ऑक्सीजन ना मिलना, अस्पताल में बिस्तर की कमी भी है.

ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौत का एक बड़ा आंकडा है लेकिन अब इस पर लगाम लगेगी. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO ) ने एक ऐसी दवा बनायी है जो ऑक्सीजन की कमी को दूर करता है. दावा किया गया है कि इस दवा के इस्तेमाल के बाद कोरोना संक्रमितों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी हालांकि यह दवा डॉक्टरों की सलाह के बगैर नहीं ली जा सकेगी.

Also Read:
गौ मूत्र का सेवन करें और कोरोना से दूर रहें, भाजपा विधायक ने बताया सेवन का भी तरीका

देश में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन पर जरूर जोर दिया जा रहा है लेकिन सरकार लगातार दूसरे विकल्पों पर भी जोर दे रही है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO ) ने एंटी कोविड दवा का निर्माण किया है. इस दवा के इस्तेमाल से संक्रमितों को लाभ मिला है. कोरोना संक्रमित इस दवा के इस्तेमाल के बाद स्वस्थ हुए हैं.

दवा पाउडर की तरह सैशे में आती है. बस इसका पैकेट खोलना है पानी में मिलाकर पी जाना है. देश की सबसे बड़े औषधि नियामक ने इस कोरोना रोधी दवा को हरी झंडी दी है. यह दवा 11 या 12 मई से ये एंटी कोविड दवा मार्केट में उपलब्ध होना शुरू.

एक टीवी चैनल में डीआरडीओ के चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने दवा की विशेषताओं पर चर्चा की और बताया कि कैसे इस बनाने में कई लोगों की अहम भूमिका है. डीआरडीओ और डॉ रेड्डी लैब द्वारा बनाई जाने वाली इस दवा को डीसीजीआई ने मंजूरी दे दी है. इस दवा को लेकर किये गये शोध में यह बात सामने आयी है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों की तेजी से रिकवरी में मदद करता है और बाहर से ऑक्सीजन देने पर निर्भरता को कम करता है.

Also Read: निजी अस्पतालों में 700 से लेकर 1500 रुपये में मिल रही है वैक्सीन की एक डोज, जानें क्या है कीमत बढ़ने का कारण

आपको बता दें कि अप्रैल 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद की मदद से यह शोध किया गया.

Next Article

Exit mobile version