नई दिल्ली : भारत ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एक ऐसे मानवरहित विमान (यूएवी) का सफल परीक्षण किया है, जो रडार को चकमा देकर किसी भी सुरक्षित स्थान पर लैंडिंग करके दुश्मनों के दांत खट्टे कर सकता है. इस मानवरहित लड़ाकू विमान का सफल परीक्षण करके भारत मानवरहित लड़ाकू विमान रखने वाले देशों के क्लब में शामिल हो गया है. इस मानवरहित विमान को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है. यह यूएवी पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर मानव रहित युद्धक विमान के तौर पर विकसित किया गया है. डीआरडीओ ने इस यूएवी का नाम ‘घातक’ रखा है.
#DRDOUpdates | DRDO successfully conducted flight trial of Autonomous Flying Wing Technology Demonstrator with Tailless configuration from Aeronautical Test Range, Chitradurga @DefenceMinIndia @SpokespersonMoD pic.twitter.com/42XQki1seV
— DRDO (@DRDO_India) December 15, 2023
यूएवी रखने वाले देशों के क्लब में शामिल हुआ भारत
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि मानवरहित विमान के सफल परीक्षण के बाद भारत ऐसी तकनीक रखने वाले देशों के क्लब में शामिल हो गया. मंत्रालय ने कहा कि डीआरडीओ ने चित्रदुर्ग में वैमानिकी परीक्षण रेंज से स्वदेशी हाईस्पीड मानवरहित विमान (यूएवी) का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रणाली के सफल उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि स्वदेशी रूप से ऐसी महत्वपूर्ण तकनीकों के सफल विकास से सशस्त्र बल और मजबूत होंगे. मंत्रालय ने कहा कि इस यूएवी की पहली उड़ान जुलाई 2022 में प्रदर्शित की गई थी. इसके बाद दो घरेलू निर्मित प्रोटोटाइप का इस्तेमाल करके छह उड़ान परीक्षण किए गए.
रडार को चकमा देने में माहिर है घातक
सबसे बड़ी बात यह है कि मानवरहित विमान ‘घातक’ रडार को चकमा देने में माहिर है. इसके सफल परीक्षण से दुनिया के सामने यह साबित हो जाता है कि भारत तकनीकी स्तर पर दुश्मन देशों को टक्कर देने में सक्षम है. उड़ान परीक्षणों से सशक्त वायुगतिकीय एवं नियंत्रण प्रणाली के विकास, एकीकृत वास्तविक समय और हार्डवेयर-इन-लूप सिमुलेशन तथा अत्याधुनिक ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन स्थापित करने में सफलता प्राप्त हुई है.
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ऐसे हुआ सफल परीक्षण
इस विमान की पहली सफल उड़ान जुलाई 2022 में की गई थी. इसके बाद दो आंतरिक रूप से निर्मित प्रोटोटाइप का इस्तेमाल करके विभिन्न विकासात्मक विन्यासों में छह उड़ान परीक्षण किए गए. इन उड़ान-परीक्षणों से सशक्त वायुगतिकीय एवं नियंत्रण प्रणाली के विकास; एकीकृत वास्तविक समय और हार्डवेयर-इन-लूप सिमुलेशन तथा अत्याधुनिक ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन स्थापित करने में सफलता प्राप्त हुई है. इस विमान का परीक्षण करने वाली टीम ने अंतिम कॉन्फिगरेशन में सफल सातवीं उड़ान के लिए वैमानिकी प्रणाली, एकीकरण और उड़ान संचालन को अनुकूलित किया था. एयरक्राफ्ट प्रोटोटाइप को एक जटिल एरोहेड विंग प्लेटफॉर्म के साथ स्वदेशी रूप से विकसित कम भार वाले कार्बन प्रीप्रेग मिश्रित सामग्री के साथ तैयार और विकसित किया गया है. इसके अलावा, कामकाजी निगरानी के लिए फाइबर इंटेरोगेटर्स से युक्त समग्र संरचना, एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में ‘आत्मनिर्भरता’ का एक उदाहरण है.
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