केरल में मंकीपॉक्स के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. अब इसको लेकर कर्नाटक सरकार ने राज्य में सतर्कता गतिविधियां बढ़ाने और कड़ी निगरानी रखने का फैसला किया है. बता दें कि केरल में अब तक मंकीपॉक्स के तीन मामलों की पुष्टि हुई है. इसी को देखते हुए ‘यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी’ (EMMA) ने कहा कि बवेरियन नॉर्डिक की ओर से बनाए गए चेचक के टीके को मंकीपॉक्स (Monkeypox) के खिलाफ इस्तेमाल के लिए भी अधिकृत किया जाए. वहीं स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली बार बच्चों में मंकीपॉक्स के मामलों की पहचान की गई है. कैलिफोर्निया में एक बच्चा में ये बीमारी पाई गई है.
यूरोपीय संघ के दवा नियामक ने कहा कि इसकी सिफारिश जानवरों के अध्ययन पर आधारित है, जो सुझाता है कि टीका गैर-मानव ‘प्राइमेट’ को मंकीपॉक्स से बचाता है. ईएमए की सिफारिश के आधार पर टीके को औपचारिक रूप से मंजूरी देना यूरोपीय संघ की कार्यकारी शाखा, यूरोपीय आयोग पर निर्भर है. यह यूरोपीय संघ की कार्यकारी शाखा यूरोपीय आयोग पर है कि वह ईएमए की अनुशंसा के आधार पर वैक्सीन को औपचारिक अनुमति देती है या नहीं.
ईएमए ने कहा, मंकीपॉक्स के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता की पुष्टि करने के लिए, कंपनी उसके प्रभावों को लेकर एक अध्ययन से आंकड़े एकत्र करेगी, जो यूरोप में चल रहे मंकीपॉक्स के प्रकोप के दौरान किया जाएगा. इसमें कहा गया है कि वैक्सीन की सुरक्षा प्रोफाइल ‘अनुकूल’ थी और मंकीपॉक्स के मौजूदा प्रकोप के दौरान इसके उपयोग के लाभों ने ज्यादातर हल्के से मध्यम दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए जोखिमों को कम कर दिया. वैक्सीन को यूरोप में इम्वैनेक्स के नाम से जाना जाता है, लेकिन अमेरिका में इसे जीनियोस के तौर पर बेचा जाता है. अमेरिकी नियामकों द्वारा मंकीपॉक्स के खिलाफ उपयोग के लिए इसे पहले ही मंजूरी दे दी गई थी.
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देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला 14 जुलाई को दक्षिण केरल के कोल्लम जिले में सामने आया था. वहीं दूसरा मामला 18 जुलाई को सामने आया था. दोनों शख्स विदेश की यात्रा कर लौटे थे. बीते दिनों केरल सरकार ने बढ़ते मंकीपॉक्स के मामलों को देखते हुए एसओपी जारी कर दिया था. इसके अनुसार, अगर निकट संपर्क में आए व्यक्ति को बुखार हो, तो उन्हें आइसोलेटेड किया जाए और यदि उनके शरीर पर लाल धब्बे दिखाई देते हैं, तो उनके नमूने मंकीपॉक्स की जांच के लिए भेज जाएं. अगर रोगी के निकट संपर्क में आए किसी व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं भी है, तब भी वे रक्तदान ना करें.