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दिल्ली विश्वविद्यालय में 15 फीसदी सीटें बढ़ी, कोरोना संकट के बीच नहीं बढ़ाई गई फीस

इस साल दिल्ली विश्वविद्यालय ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन समेत दूसरे कोर्स में 15 फीसदी सीट बढ़ाई है. बड़ी बात यह है कि फीस को नहीं बढ़ाया गया है. यह फैसला कोरोना संकट के कारण पैदा हुए हालात को देखते हुए लिया गया है. यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज ने जो जानकारी भेजी है उसमें फीस बढ़ाने का जिक्र नहीं है. खास बात यह है कि पिछले साल 10 फीसदी सीटों को बढ़ाने के साथ ही कई कॉलेज ने फीस में भी इजाफा किया गया था.

इस साल दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन समेत दूसरे कोर्स में 15 फीसदी सीट बढ़ाई है. बड़ी बात यह है कि फीस को नहीं बढ़ाया गया है. यह फैसला कोरोना संकट के कारण पैदा हुए हालात को देखते हुए लिया गया है. यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज ने जो जानकारी भेजी है उसमें फीस बढ़ाने का जिक्र नहीं है. खास बात यह है कि पिछले साल 10 फीसदी सीटों को बढ़ाने के साथ ही कई कॉलेज में फीस में भी इजाफा किया गया था.

बताया जाता है कि कॉलेज कोरोना संकट के कारण पैदा हुए हालात से अवगत हैं. लिहाजा सीट तो बढ़ाई गई है, लेकिन, फीस नहीं बढ़ाने का फैसला लिया गया है. दूसरी तरफ डीयू के कॉलेजों के फीस नहीं बढ़ाने के फैसले के बाद भी छात्र संगठन ने फीस में रियायत की मांग की है. छात्रों का कहना है कि अभी भी फीस काफी ज्यादा है. इसे छात्र हित में देखते हुए कम किया जाए, जिससे स्टूडेंट्स को पढ़ाई में किसी तरह का नुकसान ना उठाना पड़े.

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दरअसल, डीयू के कई कॉलेज स्ववित्त पोषित कोर्स चलाते हैं. इनकी फीस काफी ज्यादा है. सामान्य कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की निर्धारित फीस अधिकांश कॉलेजों में 8 से 25 हजार के बीच है. जबकि, स्ववित्त पोषित कोर्स में उसी कॉलेज में फीस 25 से 60 हजार के बीच है. ध्यान देने वाली बात यह है कि स्ववित्त पोषित कोर्स चलाने वाले कॉलेजों ने भी फीस नहीं बढ़ाई है. यह फीस पिछले साल जितनी ही रखी गई है.

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कोरोना संकट के बीच कॉलेजों को तमाम गाइडलाइंस को फॉलो करने में दिक्कत आने की बात भी सामने आई है. कॉलेजों का कहना है कि सैनेटाइजर, मास्क, कोविड-19 से बचाव में आने वाले खर्च को उठाना मुश्किल भरा है. कॉलेजों का तर्क है कि सीटें बढ़ाने के साथ ही संसाधन भी बढ़ाने होते हैं. इसके लिए खर्च करना पड़ता है. दिल्ली विश्वविद्यालय में देशभर से स्टूडेंट्स पढ़ने आते हैं, लिहाज, उन्हें बेहतर सुविधा देनी होती है.

Posted : Abhishek.

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