DU: के हिंदू अध्ययन केंद्र एवं संस्कृति विभाग द्वारा ‘मानवता के लिए श्री रामचरितमानस’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. कांफ्रेंस सेंटर में आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री, गजेंद्र सिंह शेखावत थे. इस दौरान मौजूदा समय में रामचरित मानस में वर्णित उपदेशों की जरूरत पर जोर दिया गया. इस दौरान संस्कृति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर प्रदीप कुमार सिंघल द्वारा रचित पुस्तक ‘मानस के मोती’ का विमोचन भी किया गया. राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए डीन ऑफ कॉलेज प्रोफेसर बलराम पाणि ने कहा कि रामचरितमानस ने हा दौर में अपनी महत्ता को साबित किया है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि ‘धार्यति इति धर्मः’ यानी जो धारण करने योग्य है वही धर्म है.
सारी समस्याओं का समाधान रामचरित मानस में है मौजूद
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि धर्म की प्रासंगिकता हमारे प्राचीन ग्रंथों से ही है. ग्रंथों में से जो ग्रंथ सरल भाषा में सामान्य जन मानस तक पहुंचा वह तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस ही है. यही कारण है कि धर्म और रामचरितमानस दोनो आज भी एक दूसरे के सापेक्ष हैं. मौजूदा समय की सारी समस्याओं का समाधान, श्री रामचरितमानस में ही समाहित है. आधुनिक परिवेश में होने वाले शोध के क्षेत्र में एप्लाइड रामचरितमानस की स्थापना होनी चाहिए. रामचरितमानस विश्व बंधुत्व और सर्व जन कल्याण के भाव को स्थापित करने में मददगार साबित होगा.