भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में देखने को मिलती है राम से जुड़ी विरासत, जानें उनके बारे में
Jharkhand News: आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाने वाला 'विजयादशमी' का उत्सव लोक-मंगल के लिए शक्ति के आवाहन का भव्य अवसर है. यह अपने ढंग का अकेला त्योहार है, जो शारदीय नवरात्र और भगवान श्रीराम की विजय-गाथा के पावन स्मरण से जुड़ा हुआ है
अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार दशहरा यानी विजयादशमी पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दौरान देशभर में अलग-अलग प्रकार की साज-सज्जा का दर्शन किया जा सकता है. नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने बाद 10वें दिन कहीं बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है, तो कहीं रावण के पुतले को जलाने के साथ अपने सभी नकारात्मक विचार, द्वेष, घृणा, लालच और क्रोध के दहन का भी लोग प्रण लेते हैं. विजयादशमी आशा, उमंग और उत्साह का भी त्योहार होता है. खास बात है कि अपने देश की विविधता की झलक इस त्योहार में भी देखने को मिलती है.
आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाने वाला ‘विजयादशमी’ का उत्सव लोक-मंगल के लिए शक्ति के आवाहन का भव्य अवसर है. यह अपने ढंग का अकेला त्योहार है, जो शारदीय नवरात्र और भगवान श्रीराम की विजय-गाथा के पावन स्मरण से जुड़ा हुआ है. राम भारतीय संस्कृति के महानायक हैं. राम न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी लोकप्रिय हैं.
विजयदशमी उत्सव स्वयं को शुद्ध कर अपनी सामर्थ्य के संवर्धन का अवसर देता है. भारतीय उपमहाद्वीप की यह अत्यंत प्राचीन आध्यात्मिक संकल्पना है, जिसके संकेत सिंधु घाटी की सभ्यता के अवशेषों में भी मिलते हैं. भारत के बाहर बांग्लादेश, नेपाल, कंबोडिया व इंडोनेशिया तक राम की उपस्थिति मिलती है.
इंडोनेशिया
रामायण में सुमित्रा की पहचान राजा दशरथ की तीसरी पत्नी और लक्ष्मण व शत्रुघ्न की मां के रूप में है. ऐसा माना जाता है कि इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप का नामकरण सुमित्रा के नाम पर हुआ था. वहीं, जावा के एक मुख्य नगर का नाम योग्याकार्टा है. ‘योग्या’ संस्कृत के अयोध्या का विकसित रूप है और वहां की स्थानीय भाषा में कार्टा का अर्थ नगर होता है. इस प्रकार योग्याकार्टा का अर्थ-अयोध्या नगर है. इसके अलावा, मध्य जावा की एक नदी का नाम सेरयू है और उसके आसपास स्थित एक गुफा का नाम किस्केंदा अर्थात् किष्किंधा है. इसी तरह जावा के पूर्वी छोर पर स्थित एक शहर का नाम सेतुविंदा है. ऐसा माना जाता है कि यह वास्तव में रामायण का ही सेतुबंध है.
वियतनाम
दक्षिणी थाईलैंड और मलेशिया के रामलीला कलाकारों को विश्वास है कि रामायण के पात्र मूलत: दक्षिण-पूर्व एशिया के निवासी थे. वे मलाया के उत्तर-पश्चिम स्थित एक छोटे द्वीप को लंका मानते हैं. उनका मानना है कि दक्षिणी थाईलैंड के सिंग्गोरा नामक स्थान पर सीता का स्वयंवर रचाया गया था.वियतनाम का प्राचीन नाम चंपा है. थाई वासियों की तरह वहां के लोग भी अपने देश को राम की लीलाभूमि मानते हैं. उनकी मान्यता की पुष्टि सातवीं शताब्दी के एक शिलालेख से होती है, जिसमें आदिकवि वाल्मीकि के मंदिर का उल्लेख हुआ है, जिसका पुनर्निर्माण प्रकाश धर्म नामक सम्राट ने करवाया था. प्रकाश धर्म (653-679 ई.) का यह शिलालेख अनूठा है, क्योंकि आदिकवि की जन्मभूमि भारत में भी उनके किसी प्राचीन मंदिर का अवशेष उपलब्ध नहीं है.
मलाया
मलाया स्थित लंग्या सुक अर्थात् लंका के राजकुमार ने चीन के सम्राट को 515 ई. में दूत के माध्यम से एक पत्र भेजा था, जिसमें इस बात का जिक्र था कि उसके देश में लोगों को भाषा की जननी ‘संस्कृत’ की जानकारी है. उसके भव्य नगर के महल और प्राचीन गंधमादन पर्वत की तरह ऊंचे हैं. मलाया के राजदरबार के पंडितों को संस्कृत का ज्ञान था, इसकी पुष्टि संस्कृत में उत्कीर्ण वहां के प्राचीन शिला लेखों से भी होती है. गंधमादन उस पर्वत का नाम था जिसे मेघनाद के वाण से आहत लक्ष्मण के उपचार के लिए हनुमान ने औषधि लाने के क्रम में उखाड़ कर लाया था. लंका की भौगोलिक स्थिति के संबंध में क्रोम नामक डच विद्वान का मत है कि यह राज्य सुमत्रा द्वीप में था, किंतु ह्मिवटले ने प्रमाणित किया है कि यह मलाया प्राय द्वीप में ही था.
म्यांमार
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और रामायण से जुड़ी संस्कृति की झलक बर्मा यानी वर्तमान म्यांमार में देखने को मिलती है. बर्मा का पोपा पर्वत औषधियों के लिए विख्यात है. वहां के स्थानीय लोगों को ऐसा विश्वास है कि भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण के उपचार के लिए पोपा पर्वत के ही एक भाग को हनुमान उखाड़कर ले गये थे. वे लोग उस पर्वत के मध्यवर्ती खाली स्थान को दिखाकर पर्यटकों को यह बताते हैं कि पर्वत के उसी भाग को हनुमान उखाड़ कर लंका ले गये थे. वापसी यात्रा में उनका संतुलन बिगड़ गया और वे पहाड़ के साथ जमीन पर गिर गये, जिससे एक बहुत बड़ी झील बन गयी. इनवोंग नाम से विख्यात यह झील बर्मा के योमेथिन जिला में है. बर्मा के लोकाख्यान से इतना तो स्पष्ट होता ही है कि वहां के लोग प्राचीन काल से ही रामायण से परिचित थे और उन लोगों ने उससे अपने को जोड़ने का भी प्रयत्न किया.
थाईलैंड
थाईलैंड में भी भगवान राम और रामायण से जुड़े स्थलों का जिक्र है. ऐसा कहा जाता है कि थाईलैंड का प्राचीन नाम स्याम था और द्वारावती (द्वारिका) उसका एक प्राचीन नगर था. थाई सम्राट रामातिबोदी ने 1350 ई. में अपनी राजधानी का नाम अयुध्या (अयोध्या) रखा, जहां 33 राजाओं ने राज किया. 7 अप्रैल, 1767 ई. को बर्मा के आक्रमण से उसका पतन हो गया. अयोध्या का खंडहर थाईलैंड का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर है. अयोध्या के पतन के बाद थाई नरेश दक्षिण के सेनापति चाओ-फ्रा-चक्री को नागरिकों ने 1785 ई. में अपना राजा घोषित किया. उसका अभिषेक राम प्रथम के नाम से हुआ. राम प्रथम ने बैंकॉक में अपनी राजधानी की स्थापना की.