Dussehra 2020 : दशहरा में रामकथा का डिजिटल प्रसारण बना आकर्षण का केंद्र
dussehra 2020 : इस बार दशहरे की वह चहल-पहल गायब है क्योंकि अधिकतर रामलीलाओं (Ramlila) का मंचन या तो रद्द कर दिया गया है या फिर कोरोना वायरस महामारी (covid 19 pandemic) वाले इस माहौल में रामलीला रिकॉर्ड करने के बाद डिजिटल मंचन कर अच्छाई की बुराई पर विजय की यह पौराणिक गाथा लोगों को दिखायी जा रही है.
नयी दिल्ली : हर वर्ष अक्टूबर के महीने तक उत्तर भारत के छोटे बड़े मैदानों में रामलीला का मंचन शुरु हो जाता है और शाम होते ही चारों ओर रामायण की गूंज सुनायी देने लगती है. लेकिन इस बार अक्टूबर अलग है. इस बार दशहरे की वह चहल-पहल गायब है क्योंकि अधिकतर रामलीलाओं का मंचन या तो रद्द कर दिया गया है या फिर कोरोना वायरस महामारी वाले इस माहौल में रामलीला रिकॉर्ड करने के बाद डिजिटल मंचन कर अच्छाई की बुराई पर विजय की यह पौराणिक गाथा लोगों को दिखायी जा रही है.
इस तरह का ही दृश्य उत्तरी दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके में विष्णु-अवतार रामलीला समिति के रामलीला मंचन में देखने को मिल रहा है जहां इस बार राम जन्म से पहले उनकी कोरोना जांच की जा रही है तो सीता स्वयंवर से पहले भगवान शिव का धनुष सैनिटाइज किया जा रहा है और भरत- मिलाप के दृश्य में राम से मिलने के दौरान भरत मास्क में नजर आ रहे हैं. इस तरह से कोविड-19 महामारी में राम और सीता, लक्ष्मण और हनुमान की स्वामीभक्ति और राम-रावण के बीच के युद्ध का वर्णन सुनाया जा रहा है.
विष्णु अवतार समिति के प्रमुख प्रेमपाल सिंह ने कहा, ‘‘हमने कोई कसर नहीं छोड़ी है कि हमारी रामलीला किसी भी नियम का पालन न करने के कारण रद्द हो.कहानी में बदलावों से हम जनता के बीच जागरूकता भी पैदा कर रहे हैं.” लयबद्ध संगीत के बीच मंच पर अभिनेता किरदारों में ढलकर लोगों के सामने आ रहे हैं और कुछ कलाकार तो मंच पर पीपीई किट पहन कर आ रहे हैं.सिंह ने कहा,“जिन दृश्यों में पहले 20 कलाकार हुआ करते थे उनमें अब केवल पांच या 10 कलाकार ही मंच पर आ रहे हैं.इसी तरह, दर्शकों की कुर्सियां भी एक दूसरे से छह छह फुट की दूरी पर हैं.
प्रवेश के समय हम सभी को सैनिटाइज करते हैं और सभी आगंतुकों को मास्क वितरित करते हैं.” शास्त्री पार्क समिति उन कुछ समितियों में से एक है जिन्होंने समय रहते नियमों के अनुसार खुद को ढाल लिया.इस बार रामलीला आयोजन की औपचारिक तौर पर घोषणा केवल एक सप्ताह पहले 11 अक्टूबर को की गई जिसके कारण ज्यादातर आयोजक आवश्यक लाइसेंस और अनुमति हासिल नहीं कर सके.पिछले 15 सालों से रामलीला आयोजकों को अभिनेता, नृत्य करने वाले लोग और सहायक टीमें प्रदान करने वाले संस्कृति कला संगम को इस वर्ष कहीं से रामलीला का आमंत्रण नहीं मिला तो समूह के निदेशक यश चौहान ने डिजिटल माध्यमों से रामायण की कहानी कहने का निर्णय लिया.
संगम समूह ने कई वर्षों तक अयोध्या, चित्रकूट, मेरठ और रोहतक में रामलीला का मंचन किया है.दिल्ली में यमुना किनारे रामायण की शूटिंग कुछ दिन पहले ही पूरी करने के बाद चौहान यूट्यूब और फेसबुक के माध्यम से दशहरे तक इसका प्रसारण कर रहे हैं.उन्होंने गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए शूटिंग तो पूरी कर ली लेकिन कहा कि सामाजिक दूरी का पालन करना काफी मुश्किल काम था.
Also Read: नवरात्रि पर भी बाज नहीं आये दरिंदे, दिल्ली में दो नाबालिग के साथ दुष्कर्म
चौहान ने कहा,“हम मंच पर सामाजिक दूरी कैसे रखेंगे? जब तक राम और भरत गले न मिलें, हम भरत-मिलाप कैसे दिखाएंगे?” भक्तों द्वारा राम की जन्मभूमि मानी जाने वाली ऐतिहासिक नगरी अयोध्या में सरयू नदी के तट पर एक और भव्य रामलीला का आयोजन किया जा रहा है.दूरदर्शन, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाली अयोध्या की रामलीला में दिल्ली के भाजपा सांसद और अभिनेता मनोज तिवारी अंगद, गोरखपुर के भाजपा सांसद और अभिनेता रवि किशन भरत और विंदू दारा सिंह हनुमान की भूमिका निभा रहे हैं.
कई आयोजकों ने उन्हें तैयारी करने के वास्ते पर्याप्त समय नहीं देने के लिए दिल्ली सरकार को दोषी ठहराया.दिल्ली की लव कुश रामलीला समिति के सचिव अर्जुन कुमार ने बताया ‘‘रामलीला की तैयारी के लिए कम से कम दो माह लगते हैं.ऐसा लगता है कि सरकार नहीं चाहती कि हम मंचन करें.लाला किला मैदान में इस समिति द्वारा आयोजित रामलीला को देखने के लिए जानी-मानी हस्तियां पहुंचती हैं.कुमार ने कहा ‘‘हम कोविड की गंभीरता समझते हैं लेकिन वे हमें तैयारियों के लिए दो माह का समय तो दे ही सकते थे. गिने चुने दिनों में आयोजक कितनी अनुमति ले पाएंगे ?” उन्होंने कहा ‘‘हम मानक संचालन प्रक्रिया का इंतजार करते रहे और इसकी वजह से तैयारियां नहीं कर पाए.अंतत: हमने इस साल रामलीला का आयोजन न करने का फैसला किया.”
Posted By : Rajneesh Anand