शारदीय नवरात्र शुरू हो गया है. इसके साथ ही, देश-दुनिया में दशहरे की तैयारी भी जोर-शोर से की जा रही है. कहीं पूर्वी भारत में माता का पंडाल बनाया जा रहा है, तो उत्तर भारत में तेजी से रावण का पुतला बनाया जा रहा है. देश की राजधानी दिल्ली में भी रावण का पुतला बनाया जा रहा है. दिल्ली के ततारपुर में कारीगरों की ओर से व्यावसायिक तौर पर रावण का पुतला बनाया जाता है.
विशेष बात यह है कि कोरोना महामारी के बाद तितारपुर के कारीगरों को ऑस्ट्रेलिया से भी रावण के पुतले का ऑर्डर मिल रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि तितारपुर के कारीगरों को ऑस्ट्रेलिया से ऑर्डर मिल तो रहे हैं, लेकिन ग्राहकों को डिलीवरी का इंतजाम खुद ही करना होगा.
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले प्रवासी भारतीय पूरे उत्साह के साथ दशहरा के त्योहार को मनाते हैं. तितारपुर के कारीगर नवीन ने मीडिया को बताया कि दिल्ली के कारीगरों को पुतला निर्माताओं को रावण की मूर्तियों को स्पेशल ऑर्डर मिल रहे हैं. कोरोना महामारी के बाद बिक्री में गिरावट बाद विदेशी ऑर्डर मिलने से कारीगरों में खुशी का माहौल व्याप्त है. उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में लोग रावण का पुतला बुक कराने आए हैं.
नवीन ने बताया कि कोरोना के कारण पिछले कुछ वर्षों में पुतला के कारोबार में मंदी चल रही थी, लेकिन अब चीजें बेहतर होने लगी हैं और ग्राहक वापस रावण के पुतलों का ऑर्डर देने लगे हैं. उन्होंने कहा कि हम पहले से ही ऑस्ट्रेलिया में रावण के पुतलों की सप्लाई करते आ रहे हैं. वहां इसकी काफी अधिक मांग है. उन्होंने बताया कि ग्राहकों को डिलीवरी के इंतजाम खुद ही करने होंगे. उन्होंने बताया कि रावण का पुतला बनाने में कम से कम दो महीने का वक्त लगता है.
दिल्ली के तितारपुर में पुतला बनाने वाले एक अन्य कारीगर सोनू ने कहा कि इस साल मैंने जून में एक खरीदार द्वारा ऑस्ट्रेलिया से विशेष मांग पर रावण का पुतला बनाया, जिसे मुंबई से जहाज के माध्यम से भेजा गया था और हमें आमतौर पर दशहरे के दौरान दुनिया भर से ऑर्डर मिलते हैं.
हर साल दशहरा में रावण का पुतला बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में जलाया जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों को जलाकर पूरे देश में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है.
इस वर्ष पंडाल में लगे पुतले 100 फीट तक ऊंचे होने वाले हैं. कुछ साल के अंतराल के बाद पुतला कारोबार पटरी पर लौट रहा है. कुछ क्षेत्रों में रावण के पुतला दहन करने का उत्सव (जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है) बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. दशहरा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि (दसवीं तिथि) को मनाया जाता है. इस बार दशहरा 5 अक्टूबर को पड़ रहा है.