विविधताओं से भरा है भारत में दशहरा मनाने का तरीका, जानें किन राज्यों में क्या होता है खास

उत्तरी हिस्से में रावण दहन के साथ दशहरा मनाया जाता है. इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दर्शाया जाता है. खासकर, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर जैसे शहरों में रावण दहन की भव्यता देखते ही बनती है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 24, 2023 12:01 PM
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अपने देश में दशहरा उत्सव के विभिन्न रंग देखने को मिलते हैं. इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. इसके पीछे की मान्यता है कि माता दुर्गा ने नवरात्रि के नौ दिनों के पश्चात दसवें दिन महिषासुर का वध किया था. वहीं, एक मान्यता यह भी है कि प्रभु श्रीराम ने इसी दिन दस सिरों वाले रावण का वध किया था. रावण के सिरों को उसकी 10 बुराइयों का प्रतीक माना जाता है. यही वजह है कि बुराई पर अच्छाई पर जीत के रूप में देशभर में दशहरा के अलग-अलग स्वरूप देखे जा सकते हैं.

उत्तर भारत में रावण दहन

अपने देश के उत्तरी हिस्से में रावण दहन के साथ दशहरा मनाया जाता है. इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दर्शाया जाता है. खासकर, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर जैसे शहरों में रावण दहन की भव्यता देखते ही बनती है. उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, झारखंड, हरियाणा जैसे कई अन्य राज्यों के विभिन्न शहरों में भी रावण दहन की परंपरा है.

दिल्ली की अद्भुत रामलीला

रामलीला के मंचन के लिए दिल्ली मशहूर है. दशहरा के दिन भगवान राम द्वारा रावण के वध का मंचन किया जाता है. नौ दिनों की रामलीला के पश्चात दशहरा के दिन शहर में जगह-जगह पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण सहित तीनों राक्षसों के पुतलों का दहन किया जाता है. इस अवसर पर दिल्ली में कई ऐसे स्थान भी हैं, जहां मां दुर्गा के पंडाल भी बनाये जाते हैं.

गुजरात में गरबा की धूम

गुजरात में दशहरा पर्व प्रसिद्ध गरबा/डांडिया के साथ मनाया जाता है. नवरात्रि के दौरान यहां गरबा नृत्य की धूम रहती है. यह गुजरात के दशहरा के मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है. यह उत्सव लोगों को एक-दूसरे के करीब लाने का काम करता है. मां दुर्गा की पूजा के बाद रात भर गरबा खेला जाता है. गरबा के लिए सभी पारंपरिक गुजराती पोशाक पहनते हैं.

कुल्लू में रघुनाथ की शोभायात्रा

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में भगवान रघुनाथ की भव्य शोभायात्रा के साथ इस त्योहार को मनाया जाता है. यहां यह त्योहार अनोखे तरीके से सात दिनों तक मनाया जाता है. कुल्लू के लोग ढालपुर के मेला मैदान में भगवान रघुनाथ की पूजा करते हैं. मेला मैदान में आसपास के ग्रामीण विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां भी लाते हैं.

पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा है खास

पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा यहां की खास पहचान है. यहां लोग पूरे साल इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस मौके पर थीम आधारित भव्य पूजा पंडाल बनाये जाते हैं, जहां पांच दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है. दशहरा के दिन पश्चिम बंगाल में महिलाएं सिंदूर खेला करती हैं. वहीं, छोटे सदस्य बड़ों को विजोया प्रणाम बोलते हैं.

मैसूर का शाही दशहरा उत्सव

उत्तर भारत की तरह दक्षिण भारत में भी दशहरा काफी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है. मैसूर का दशहरा तो विश्वप्रसिद्ध है. मैसूर का दशहरा चामुंडेश्वरी देवी की आराधना से जुड़ा त्योहार है. दशहरा के दिन सजे हुए हाथियों की शोभायात्रा निकलती है. इनका नेतृत्व करने वाले हाथी की पीठ पर चामुंडेश्वरी देवी की प्रतिमा रखी जाती है.

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