शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 99 वर्ष की आयु में निधन, PM ने जताया शोक
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को शाम पांच बजे उनके आश्रम में समाधि दी जाएगी. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती हिंदूओं के सबसे बड़े महंत थे. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो मठों, द्वारका एवं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य थे.
द्वारका शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 99 वर्ष की आयु में रविवार को निधन हो गया. उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में आखिरी सांस ली. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने अपना 99वां जन्मदिन मनाया था. लंबे समय से शंकराचार्य बीमार चल रहे थे. उन्होंने रविवार दोपहर 3:30 बजे आखिरी सांस ली. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन से शोक की लहर है.
सोमवार को दी जाएगी समाधि
ऐसी खबर आ रही है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को शाम पांच बजे उनके आश्रम में समाधि दी जाएगी. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती हिंदूओं के सबसे बड़े महंत थे. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो मठों, द्वारका एवं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य थे.
Dwarka Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati passes away at the age of 99, in Madhya Pradesh's Narsinghpur
(file pic) pic.twitter.com/Bzi541OiPW
— ANI (@ANI) September 11, 2022
पीएम मोदी ने जताया शोक
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शोक जताया. उन्होंने ट्वीट किया और लिखा, द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं. ओम शांति!
द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति!
— Narendra Modi (@narendramodi) September 11, 2022
स्वतंत्रता संग्राम में भी शंकराचार्य ने निभायी बड़ी भूमिका
1942 में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो का नारा दिया, तो उसे सुनकर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े. महज 19 साल की उम्र में वो क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए. 1950 में उन्हें दंडी संन्यासी बनाया गया. 1981 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि दी गयी. 1950 में ही उन्होंने शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड संन्यास की दीक्षा ली. उसी के बाद उन्हें स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के नाम से जाना जाने लगा.
नौ वर्ष की उम्र में ही शंकराचार्य ने घर का कर दिया था त्याग
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर 1924 में हुआ था. उन्होंने केवल नौ साल की उम्र में घर का त्याग कर दिया था. घर से दूर होने के बाद उन्होंने धर्म यात्रायें शुरू की. इस दौरान उन्होंने काशी की यात्रा की और फिर स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली.
प्रियंका गांधी वाड्रा ने किया ट्वीट
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर ट्वीट किया और लिखा, जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के महाप्रयाण का समाचार सुनकर मन को भारी दुख पहुंचा. स्वामी जी ने धर्म, अध्यात्म व परमार्थ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. साल 2021 में प्रयागराज में गंगा स्नान के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त कर देश व धर्म की उदारता व सद्भावना पर उनके साथ चर्चा करने का मौका मिला. स्वामी जी ने मेरे पिता के रहते हुए 1990 में हमारी गृहप्रवेश की पूजा कराई थी. ये पूरे समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है. ईश्वर से प्रार्थना है कि इस कठिन समय में स्वामी जी के अनुयायियों को कष्ट सहने का साहस दें. ॐ शांति!
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के महाप्रयाण का समाचार सुनकर मन को भारी दुख पहुंचा। स्वामी जी ने धर्म, अध्यात्म व परमार्थ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
साल 2021 में प्रयागराज में गंगा स्नान के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त कर देश व धर्म की…1/2 pic.twitter.com/bEnsfAnaMv
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 11, 2022