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Jaishankar ने याद किया 40 साल पुराना वाकया, बताया पिता सुब्रह्मण्यम को इंदिरा गांधी ने सचिव पद से क्यों हटाया

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ एक इंटरव्यू के दौरान अपने पिता के साथ हुई नाइंसाफी का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पिता कैबिनेट सेक्रेटरी थे, लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी के दोबारा सत्ता में लौटने पर उन्हें पद से हटा दिया गया.

S Jaishankar News: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ एक इंटरव्यू के दौरान चीन समेत कई मामलों पर खुलकर बात की. इस दौरान एस जयशंकर ने अपने पिता डॉ. के सुब्रमण्यम के साथ हुई नाइंसाफी का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि उनके पिता कैबिनेट सेक्रेटरी थे, लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी के दोबारा सत्ता में लौटने पर उन्हें पद से हटा दिया गया.

बेहतरीन फॉरेन सर्विस अधिकारी बनना चाहते थे जयशंकर

एएनआई को दिए इंटरव्यू में एस जयशंकर ने अपने पिता को पद से हटाने और उनकी जगह जूनियर अधिकारी को पद पर नियुक्त किए जाने एवें विदेश सेवा से लेकर राजनीति तक के अपने सफर पर बात करते हुए कहा कि वह हमेशा से बेहतरीन फॉरेन सर्विस अधिकारी बनना चाहते थे. उन्होंने कहा, मेरी नजरों में विदेश सचिव बनना उस सर्वश्रेष्ठता को हासिल करने की परिभाषा थी. मेरे पिता एक नौकरशाह थे, जो कैबिनेट सेक्रेटरी बन गए थे. लेकिन उन्हें पद से हटा दिया गया. वह उस समय 1979 में जनता सरकार में सबसे युवा सेक्रेटरी थे.

सिद्धांतों पर चलने वाले शख्स थे मेरे पिता

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 1980 में जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनकर सत्ता में आईं, तो सबसे पहले मेरे पिता को कैबिनेट सेक्रेटरी के पद से हटा दिया गया. मेरे पिता सिद्धांतों पर चलने वाले शख्स थे और शायद समस्या यही थी. उसके बाद वह कभी सेक्रेटरी नहीं बने. उनके बाद राजीव गांधी के कार्यकाल में मेरे पिता से जूनियर अधिकारी को कैबिनेट सेक्रेटरी बनाया गया. यह बात उन्हें बहुत खलती रही, लेकिन उन्होंने शायद कभी ही इसके बारे में बात की हो. जब मेरे बड़े भाई सेक्रेटरी बने तो उनका सीना गर्व से फूल गया था.

ब्यूरोक्रेट्स परिवार से ताल्लुक रखते है जयशंकर

बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ब्यूरोक्रेट्स परिवार से ताल्लुक रखते हैं. वह जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव पद पर रहे. वहीं, साल 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया. उनके पिता 2011 में चल बसे. उन्‍हें देश के जाने-माने राष्‍ट्रीय सुरक्षा रणनीतिकार के तौर पर माना जाता था. उन्हें भारत के न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन का शिल्पकार भी माना जाता रहा है.

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